Story Of Hanuman Ji : हिंदू धर्म में हनुमान जी को कलयुग के देवता के रूप में जाना जाता है. आमतौर पर मंदिरों में सिंदूरी रंग के दिखने वाले हनुमान जी, कुछ जगहों पर हनुमान जी की पूजा काले रूप में होती है. हनुमान जी के काले होने के पीछे की वजह अलग अलग बतायी गयी है. एक पौराणिक कहानी के अनुसार हनुमान जी का काला रंग शनिदेव के चलते हुआ है.


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बजरंग बली सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे और एक दिन उन्हें अपने गुरु को दक्षिणा देने का मन किया तो उन्होंने सूर्यदेव से कहा कि 'आप मेरे गुरु हैं, बताइए आपको गुरु दक्षिणा में मुझसे क्या चाहिए? तो इस पर सूर्यदेव ने कहा कि वैसे तो मेरे लिए ये ही काफी है कि तुम मुझे अपना गुरु मुझे मानते हो लेकिन अगर तुम्हारी सही में इच्छा है मेरे लिए कुछ करने की तो, मेरे पुत्र शनि को मेरे पास ले आओ, वो मेरी बात ही नहीं सुनता है.



गुरु की इच्छानुसार हनुमान जी तुरंत शनिदेव के पास पहुंच गये. लेकिन शनिदेव वहां से भाग खड़े हुए. उन्होंने हनुमान जी को दौड़ा दौड़ा कर परेशान कर दिया. लेकिन बजरंग बली तो बजरंग बली ही थे. उन्होंनें शनिदेव को पकड़ ही लिया. शनिदेव को जब पूरी बात पता चली तो वो हनुमान जी के काम से बहुत खुश और उनकी गुरुभक्ति से बहुत प्रभावित भी हुए.


शनिदेव ने हनुमान जी को कहा कि मैं आपके साथ अपने पिता के पास चलने के लिए तैयार तो हूं,  लेकिन उससे पहले मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं.  हनुमान जी ने कहा कि हां बोलिए ना शनिदेव. फिर  शनिदेव ने कहा कि 'आपने आज गुरुभक्ति की एक नई मिसाल दी है.



आज से आप अपनी इस भक्ति के लिए भी संसार में भी पूजे जाएंगे. शनिवार के दिन आपकी भी पूजा मेरे साथ ही होगी और जो ये पूजा करेगा, उसकी हर इच्छा भी पूरी होगी और उस पर कभी भी कोई संकट नहीं आएगा. इस पर हनुमान जी बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि ठीक है. तो मैं भी शनिवार के लिए आपकी तरह ही काला रूप धर लेता हूं. मान्यता है कि बस उसी दिन से हनुमान जी के काले रूप की भी पूजा होने लग गई. 


 


एक दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार रावण में लंकापति रावण की सोने की लंका जलाने के बाद हनुमान जी का पूरा शरीर जलकर काला हो गया था. उनका ये काला रंग सच्चाई और चतुराई की विजय और झूठ और पाखंड की हार का प्रतीक है. इसलिए हनुमान जी के काले रंग की पूजा होने लगी.



खासतौर पर कर्नाटक और आंध्रा में काले रंग के ही हनुमान के मंदिर बहुत ज्यादा हैं. आज मंगलवार के दिन आप चाहें काले हनुमान जी को पूजें या फिर सिंदूरी हनुमान जी को, जो भी पूर्ण श्रद्धा के साथ बजरंगबली को याद करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.