Jhunjhunu: राजस्थान के झुंझुनूं ने हर काम में अपना लोहा मनवाया है. अब किसानों के नवाचार भी देश और प्रदेश के किसानों के लिए प्रेरणा बन रहे है. झुंझुनूं के किसानों ने अब परंपरागत खेती से अलग नवाचार और कम पानी वाली खेती अपनाकर लाखों का मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है. 


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ऐसे ही एक किसान झुंझुनूं के बुड़ाना निवासी जमील पठान है, जो सेना से रिटायर हैं. सेना से रिटायर होने के बाद 2015 में उन्होंने सबसे पहले अपने 60 बीघा खेत में परंपरागत खेती की, लेकिन जमीन बंजर निकली और फसलें नहीं हो पाई. इसके बाद उन्होंने जोश और जज्बे के साथ अपने खेत को बाग में बदल दिया. उन्होंने करीब 8 हजार किन्नू, मौसमी और नींबू के पौधे लगाए, जो अब हर साल लाखों की इनकम दे रहे हैं. 


जमीन पठान ने बताया कि बीते साल ही उन्होंने बागवानी से करीब 15 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था, जैसे-जैसे उनके बाग के पेड़ बड़े होंगे, यह मुनाफा बढ़ता जाएगा.  उन्होंने बताया कि उनके बाग में फिलहाल 500 से ज्यादा प्रकार के पौधे लगे हुए है. इनमें चंदन, जैतून जैसे ऐसे पेड़ भी शामिल हैं, जो शेखावाटी में लगना और उनसे आमदनी करना कोई सोच भी नहीं सकता, लेकिन बुड़ाना स्थित उनकी जमीन में ये उन्हें अच्छी खासी आमदनी दे रहे हैं. 


कम पानी के लिए बूंद-बूंद का सहारा
जमील पठान ने बताया कि शेखावाटी में पानी की कमी है. इसके कारण खेती प्रभावित हो रही है. उन्हें भी इसका सामना करना पड़ा था. उन्होंने कृषि विभाग के सहयोग से अपने बाग में बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति के तहत​ ड्रिप सिस्टम लगाया और अब पूरे बाग में ड्रिप सिस्टम से ही पानी दिया जाता है. 


इंजीनियर बेटा भी करता है हेल्प
जमील पठान के बगीचे में उनका इंजीनियर बेटा जुनैद भी हेल्प करता है. खेती में नए इनोवेशन करता रहता है. खेत में करीब 50 से ज्यादा तरफ के फ्रूट और मेडिशनल प्लांट लगाए हुए हैं. जमील पठान ने बताया कि अब वे बाग में मालाबारनी और मोगनी के पेड़ भी लगा रहे हैं, जिनकी लकड़ियां काफी महंगी होती है. ये लकड़ियां पानी के जहाज और राइफल के बट में काम ली जाती है. 


पूरे शेखावाटी में करते हैं सप्लाई
जमील ने फ्रूट की खेती के साथ ही शेखावाटी में फ्रूट का सबसे बड़ा मार्केट तैयार किया है. फ्रूट की सप्लाई झुंझुनूं के अलावा, सीकर, चिड़ावा और नवलगढ़ की मंडियों में भी कर रहे हैं. इसके अलावा व्यापारियों द्वारा उनके फ्रूट जयपुर मंडी में भी भेजे जाते हैं. इतना ही नहीं फोन पर भी उन्हें ऑर्डर मिल रहे हैं. 


मधुमक्खियों को गर्मी में भी रोके रखा
जमील पठान ने बताया कि राजस्थान के शेखावाटी में मधुमक्खी पालन पर कोई ध्यान नहीं देता क्योंकि सबसे बड़ी समस्या है कि अधिक टेंप्रेचर के कारण मधुमक्खियां गर्मियों में ठहरती नहीं है, लेकिन उन्होंने पाया कि उनके बाग का टेंप्रेचर अन्य जगहों से कम है. वहीं नमी भी है इसलिए उन्होंने मधुमक्खी पालन भी शुरू किया है. उसमें भी उन्हें सफलता मिली है. इस बार गर्मी तेज होने के बावजूद उनके बाग से मधुमक्खियां पलायन नहीं की है, जो आने वाले दिनों में अच्छे शहद को उपलब्ध करवाने का माध्यम ​बनेगी. 


Reporter- Sandeep Kedia 


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