Banned Medicines Sold Openly in Jaipur: अन्न उपजाने वाले भोले-भाले किसानों से दवाइयों के नाम पर ठगी हो रही है. किसानों को कई उत्पाद ऐसे बेचे जा रहे हैं, जो प्रतिबंधित हैं, तो कुछ उत्पाद नकली बेचे जा रहे हैं. जयपुर के विभिन्न बाजारों में धड़ल्ले से ऐसे उत्पादों की बिक्री जारी है. ऐसे कई उत्पादों का उत्पादन जयपुर की ही फैक्ट्रियों में हो रहा है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती.


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फोरेटेक्स 10जी नामक उत्पाद को बाजार में  फोरेट के नाम से बेचा जा रहा है. वह फोरेट जो फसलों में दीमक मारने के लिए उपयोग में ली जाती थी, लेकिन इसका उपयोग खतरनाक मानते हुए कृषि विभाग ने इसकी बिक्री पर रोक लगाई हुई है. रोक के बावजूद इस उत्पाद की बिक्री जयपुर के कृषि बाजारों में धड़ल्ले से जारी है. रोचक यह है कि इस दवाई के पैकिंग पर कम्पनी का जो नाम लिखा हुआ है वह फर्जी है.


 कम्पनी के नाम-पते के स्थान पर लिखा हुआ है- एक्सल एग्रो टेक, उत्तर प्रदेश. यानी वास्तव में इस कम्पनी का कार्यालय कहां है, कम्पनी कहां से उत्पादन कर रही है, फोन नम्बर क्या है, ऐसी कोई जानकारी पैकिंग पर नहीं लिखी है, जो यह साबित करने के लिए काफी है कि यह उत्पाद नकली है, लेकिन उत्पाद के सही होने या नकली होने के अंतर से अनभिज्ञ भोले-भाले किसानों को धड़ल्ले से यह उत्पाद बेचा जा रहा है. एक्सल एग्रो टेक तो केवल एक नाम है, फोरेट के नाम पर दर्जनों कम्पनियों के नाम से ऐसे फर्जी उत्पाद किसानों को बेचे जा रहे हैं. जयपुर के अजमेरी गेट, मुहाना मंडी, लालकोठी मंडी, सांगानेर आदि इलाकों में खाद-बीज की दुकानों पर यह दवाईयां उपलब्ध हैं.


कैसे हो रही है अन्नदाता से ठगी ?


- फोरेट- फसल में दीमक मारने के लिए उपयोगी


- फोरेट 10 प्रतिशत है कृषि विभाग द्वारा प्रतिबंधित, लेकिन बिक्री जारी


- डस्ट पाउडर- फसल में या घरों में चींटियों को दूर करने के लिए


- अलग-अलग कम्पनियों के नकली गुणवत्ता के डस्ट पाउडर बिक रहे


- नुवान- फसल में मक्खी-मच्छर मारने के लिए उपयोगी


- नुवान में आने वाले डाई क्लोरोवास 76 प्रतिशत पर रोक, लेकिन बिक्री जारी


- एल्ड्रिन- कई सालों से प्रतिबंधित, दीमक मारने के लिए उपयोगी


- लीथल- दीमक मारने के लिए उपयोगी, हल्की गुणवत्ता के उत्पाद बिक रहे


- जाइम- फसलों में पौधों की ग्रोथ के लिए, नकली गुणवत्ता के बिक रहे


- जाइम की बिक्री तो बड़ी फर्टिलाइजर कम्पनियां भी करवा रही


किसानों को सही खाद-बीज और कीटनाशक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कृषि विभाग की है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने 30 जून तक गुण नियंत्रण अभियान चलाया था. इस अभियान के दौरान केवल खानापूर्ति कर ली गई है, क्योंकि अधिकतर नकली उत्पाद और प्रतिबंधित उत्पाद दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हैं. रोचक यह भी है कि इनमें से ज्यादातर कृषि उत्पादों का उत्पादन जयपुर की ही कम्पनियां कर रही हैं. जयपुर के वीकेआई और सरना डूंगर इंडस्ट्रियल एरियाज में दर्जनों कम्पनियां इस तरह के नकली उत्पाद बनाकर बेच रही हैं. कृषि विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर केवल दुकानों की चैकिंग की जाती है, जबकि इन फर्जी नाम-पते वाली कम्पनियों की जांच तक नहीं की जाती.


जयपुर में नकली कृषि आदानों का निर्माण ?


- कृषि विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जयपुर में हो रहा निर्माण


- जयपुर के वीकेआई और सरना डूंगर में ऐसी कई कम्पनियां


- नकली और हल्की गुणवत्ता की दवाइयां बना रही हैं ये कम्पनियां


- कृषि अधिकारियों द्वारा नहीं की जाती कम्पनियों की नियमित जांच


- खरीफ फसल बुवाई के दौरान बड़े स्तर पर हल्के बाजरा बीज की पैकिंग की गई


- पायोनियर जैसी मिलते-जुलते ब्रांडेड पैकिंग के बीज 250 रुपए प्रति किलो बेचे गए


- रबी के दौरान ऐसी ही नकली सरसों के बीज बड़ी मात्रा में बेचे जाते