धनतेरस से शुरू हुई त्योहारों की धूम भाई दूज के साथ संपन्न, मस्ती के साथ जयपुरराइट्स ने की जमकर शॉपिंग
धनतेरस से शुरू हुआ दीपोत्सव का समापन भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक भाई दूज के साथ समापन हुआ. 25 अक्टूबर सूर्यग्रहण को छोडकर पांच दिन तक दीपदान, रोशनी, लक्ष्मी पूजन, अन्नकूट, भाईदूज और एक दूसरे को दीपावली की बधाई देकर मुहं मीठा कराने का दौर चला. शहर रोशनी के इस त्यौहार में डूबा रहा.
Jaipur: धनतेरस से शुरू हुआ दीपोत्सव का समापन भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक भाई दूज के साथ समापन हुआ. 25 अक्टूबर सूर्यग्रहण को छोडकर पांच दिन तक दीपदान, रोशनी, लक्ष्मी पूजन, अन्नकूट, भाईदूज और एक दूसरे को दीपावली की बधाई देकर मुहं मीठा कराने का दौर चला. शहर रोशनी के इस त्यौहार में डूबा रहा. कपड़े, मिठाई, मिट्टी के दीयों, लाइटों की दुकानों से लोगों ने जमकर खरीदारी की. बड़ों के साथ बच्चों ने भी त्यौहार का आनंद उठाया.
उमंग, उत्साह, उल्लास और रोशनी का महापर्व दिवाली सोमवार को हस्त चित्रा नक्षत्र, वैधृति विष्कुंभ योग में चतुर्दशी युक्त अमावस्या के रूप में मनाया गया है. रोशनी से लक-दक शहर में विभिन्न मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन हुआ. शाम को पटाखे और आतिशबाजी से आसमान रंग-बिरंगी रोशनियों से सराबोर हो उठा. मंदिरों से लेकर घर पूरी तरह रोशनी से जगमगा उठे. साथ ही आस्था के दीप जलने से छोटीकाशी भी अयोध्या सी नजर आई. शहरवासियों ने परिजनों के साथ मिलकर घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन किया.
डिज्नीलैंड की सजावट रही आकर्षण का केंद्र
साथ ही भगवान गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, कुबेर से सुख समृद्धि की कामना की. इससे पूर्व दीपदान किया गया. परकोटे के चांदपोल, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार में की गई रोशनी आकर्षण का केंद्र रही. इस दौरान कहीं माता लक्ष्मी भक्तों का आर्शीवाद देते नजर आई तो कृष्ण भक्ति, आजादी का अमृत महोत्सव, डिज्नीलैंड की सजावट आकर्षण का केंद्र रही. अर्से बाद बाजारों रोशनी देखने वालों की भीड़ चारों ओर नजर आई.
परिजनों ने बच्चों के साथ सजावट के साथ फोटो क्लिक की. 27 साल बाद दीपोत्सव पर्व के तहत मंगलवार को अद्भूत खगोलीय घटना देखने को मिली. दिवाली के अगले दिन साल का आखिरी खंडग्रास सूर्यग्रहण होने से इस खगोलीय घटना को देखने का शहरवासियों में उत्साह नजर आया. जयपुर में शाम 4 बजकर 31 मिनट से 5 बजकर 49 मिनट तक ग्रहण का असर रहा. .ग्रहण का समय काल एक घंटा 17 मिनट आठ सैकंड रहा. घरों पर लोगों ने छतों से प्रोटेक्टिव ग्लास, एक्सरे फिल्म के जरिए ग्रहण को देखा. हालांकि सूर्यास्त होने से शहरवासी ग्रहण को अंतिम समय पर नहीं देख सके.
सूतक काल के बाद फिर दिखी सड़को पर रौनक
इसके साथ ही शहर के प्रमुख बड़े मंदिरों में भक्तों की आवाजाही कम रही. सड़कों पर सन्नाटा नजर आया. सूतक काल खत्म होने के बाद शाम सात बजे से बाजारों में चहल पहल दिखने के साथ ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ नजर आई. इससे पूर्व दान पुण्य का दौर जारी रहा। साथ ही संकीर्तन, जप, यज्ञ किए गए. .स्नान के बाद लोगों ने पूजा अर्चना कर भोजन ग्रहण किया. 26 अक्टूबर यानि की बुधवार को छह दिवसीय दीपोत्सव के दौरान आयुष्मान, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग में अन्नकूट महोत्सव व गोवर्धन पूजा का आयोजन हुआ. इस दौरान मंदिरों में भगवान को बाजरा, मूंग, मोठ, चावल, मिक्स सब्जी व पूड़ी सहित विभिन्न राज्यों के पकवानों का भोग लगाया गया.
घरों में भी भगवान गोवर्धन की पूजा की गई व गो-पूजन हुआ. गोविंददेव जी मंदिर में महंत अंजन गोस्वामी के सान्निध्य में अन्नकूट का भोग लगाया. वैशाली नगर स्थित अक्षरधाम मंदिर में आयोजित अन्नकूट महोत्सव में राजस्थानी, गुजराती व दक्षिण भारतीय व्यंजनों सहित 1111 से अधिक प्रकार के व्यंजन ठाकुरजी को अर्पित किए गए. मोती डूंगरी गणेश मंदिर में महंत कैलाश शर्मा के सान्निध्य में भगवान गणेश को अन्नकूट प्रसादी सहित कई प्रकार के पकवान अर्पित किए गए.
धूमधाम से मनाया गया भाईदूज
दीपोत्सव के अंतिम दिन विभिन्न योग-संयोगों पर भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाईदूज मनाया गया. बहनों ने भाई को तिलककर भाई की लंबी उम्र की कामना की. .बहिनों ने भाइयों की दीर्घायु के लिए भैया दूज का पूजन किया और भाइयों को तिलक लगाया. बदले में भाईयों ने बहनों को आकर्षक उपहार दिए. बहनें भैय्या दूज की तैयारी में सुबह से लगी रहीं.
वहीं दिनभर बहनों का अपने मायके आने का सिलसिला जारी रहा. .सोशल साइट्स पर बधाई का क्रेज रहा. भाई दूज का पर्व यम-यमुना सहित प्राचीन मान्यताओं के कारण अहम है। इसी के चलते दीपोत्सव के साथ यह पर्व मनाया जाता है. छह दिनों से लगातार परिवार के सभी सदस्य एक साथ रहे. उनके रिश्तों में नवीनता आयी. गीले शिकवे दूर हुए. .परिवार के बुजुर्गों को यथोचित सम्मान मिला. परिवार में किसी एक सदस्य को कोई परेशानी हैं, तो बाकी सदस्यों ने उस परेशानी में उसकी सहायता की. जिससे उनमे आपसी स्नेह बढा. इस प्रकार से वर्ष में एक बार पूरे कुटुम्ब के रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार हो गया. .अलग अलग क्षेत्रो से अनुभव रखने वाले सदस्यों के एक साथ बैठने से उनके अनुभव का लाभ सभी को मिला.
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