Jaipur: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत सस्ता अनाज लेने के लिए अभी ओर इंतजार करना पड़ सकता हैं. राज्य सरकार की ओर से 10 लाख लोगों के नाम जोड़ने के लिए मई में आवेदन लिए गए. इसके बाद फूड डिपार्टमेंट राजस्थान ने सितम्बर में एक आदेश जारी करके सभी जिलों के कलेक्टर्स को जल्द से जल्द इन आवेदनों की स्क्रूटनी करके फाइनल लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे लेकिन इनकी स्क्रूटनी (जांच) अभी पूरी नहीं हो सकी हैं. इस स्थिति में आवेदनों के सत्यापन की प्रक्रिया कछुआ चाल से चल रही है.


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राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत दो रुपए किलो में अनाज लेने के लिए नए आवेदनकर्ताओं को इंतजार करना होगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खाद्य सुरक्षा योजना में 10 लाख नए परिवार जोड़ने की घोषणा की है. आवेदनों के सत्यापन की प्रक्रिया कछुआ चाल के कारण ये यह घोषणा हिचकोले खा रही है. ऐसे में इस वित्तीय वर्ष में सीएम की इस महत्वपूर्ण घोषणा के पूरे होने पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं.


दरअसल मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के बाद फूड डिपार्टमेंट ने अप्रैल-मई में ऑनलाइन आवेदन मांगे. इन दो महीने के अंदर 10 लाख यूनिट्स जोड़ने के लिए 19.57 लाख परिवारों ने आवेदन किया. जिलेवार स्थिति देखे तो सबसे ज्यादा 1.38 लाख परिवारों के आवेदन जयपुर जिले में आए. इसके अलावा नागौर, जोधपुर, बाड़मेर ऐसे जिले है जहां एक लाख से ज्यादा आवेदन मिले. जबकि सबसे कम आवेदन प्रतापगढ़ में 23 हजार 923 मिले.


इन आवेदनों की स्क्रूटनी का काम सितम्बर से शुरू किया गया. इसके लिए फूड डिपार्टमेंट ने कलेक्टर की निगरानी में बनाई मॉनिटरिंग टीम से सितम्बर से करवाना शुरू किया. यदि आंकड़ों की बात करें तो 19.57 लाख परिवारों में से सितम्बर, अक्टूबर और नवंबर में अब तक 1 लाख 82 हजार परिवारों के आवेदनों को फाइनल करके उनके नाम सूची में एड किए जा चुके है. वहीं 14 हजार से ज्यादा आवेदन निरस्त कर दिए है.


13 लाख से ज्यादा आवेदन अब भी पेंडिंग पड़े है जबकि 4.48 लाख आवेदनों में कमी होने के कारण उन्हें वापस आवेदक को भिजवाया गया है. अब तक जो 1.82 लाख परिवारों के आवेदन अप्रूव्ड हुए है उसमें जयपुर के बाद गंगानगर में सबसे ज्यादा है. जयपुर में 1 लाख 38,013 आवेदन में से 27,644 आवेदन अप्रूव्ड हो चुके है जबकि 321 रिजेक्ट कर दिए है. इसी तरह गंगानगर में 54,208 आवेदन में से 11 हजार 556 आवेदन अप्रूव्ड हो चुके है. जबकि 392 रिजेक्ट कर दिए है. इसके अलावा नागौर में 1 लाख 19 हजार 877 आवेदन में से 10 हजार 359 अप्रूव्ड और 359 रिजेक्ट हुए. जबकि बाड़मेर में 1 लाख 12 हजार 572 में से केवल 6028 ही अपूव्ड हुए है, जबकि 263 रिजेक्टर कर दिए है.


राज्य में अभी केन्द्र सरकार से 4 करोड़ 46 लाख यूनिट्स के लिए गेंहू का कोटा निर्धारित है. इस कोटे में से वर्तमान में राज्य में 4 करोड़ 25 लाख यूनिट्स ही गेंहू ले रही है. इस तरह अभी भी राज्य सरकार के पास करीब 20 लाख यूनिट्स से ज्यादा का कोटा रिजर्व है. राज्य सरकार ने बजट में 10 लाख यूनिट्स को गेंहू देने की घोषणा की है. ऐसे में संभावना है कि गहलोत सरकार अपने आखिरी बजट में 10 लाख यूनिट्स को और इस योजना में जोड़ने का एलान कर सकती है. खाद्य सुरक्षा योजना में नए परिवारों के सदस्यों नाम जुड़ते जा रहे हैं. वैसे ही खाद्य विभाग खाद्य सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गेहूं के आवंटन की मात्रा बढ़ा रहा है.


जिससे योजना में जुड़ने वाला कोई भी परिवार गेहूं लेने से वंचित नहीं रहे. जनवरी 2022 माह के लिए 2 लाख 28 हजार 829 मीट्रिक टन गेहूं का आवंटन राशन डीलरों को आवंटित कर दिया है.  मात्रा दिसंबर माह के मुकाबले लगभग 15 हजार मीट्रिक टन ज्यादा है. खाद्य विभाग के अधिकारियो के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी बजट घोषणा में खाद्य सुरक्षा योजना में दस लाख नए परिवार जोड़ने की घोषणा की थी. 
योजना में नाम जोड़ने के लिए विभाग ने जब पोर्टल खोला तो 19 लाख से ज्यादा आवेदन पोर्टल पर आ चुके थे. अब विभाग इन आवेदनों का सत्यापन उपखंड स्तर पर उपखंड अधिकारी से करवा रहा है. सत्यापन के बाद 1 लाख 82 हजार नए परिवार अभी तक खाद्य सुरक्षा येाजना में जोडे जा चुके हैं. वहीं योजना में 20 लाख नाम जोड़े जा सकते हैं. अभी खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 4 करोड़ 26 लाख लाभार्थियों को प्रतिमाह प्रति यूनिट 5 किलोग्राम गेहूं दिया जा रहा है.


खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित परिवार के हर सदस्य को हर माह 5 किलो गेहूं 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलती है. इसमें चयनित लाभार्थी चिरंजीवी योजना के लिए निशुल्क रजिस्ट्रेशन भी करवा सकता है. इसमें 10 लाख रुपए का बीमा कवर घोषित किया गया है. परिवार का सदस्य आयकर दाता हो, परिवार का सदस्य सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, स्वायत्तशासी संस्था नियमित कर्मचारी हो, किसी भी सदस्य के पास चार पहिया वाहन हो, नगर परिषद क्षेत्र में एक हजार वर्गफीट और पालिका क्षेत्र में 1500 वर्गफीट में पक्का मकान निर्मित हो, 1 लाख रुपए से वार्षिक आय वाले परिवार इसमें अपात्र है.



बहरहाल, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वाने से लेकर अप्रूव करवाने तक आम नागरिक को शुरू से ही परेशानियां झेलनी पड़ती है. जैसे तैसे नाम जुडवाने के लिए दो साल बाद पोर्टल शुरू हुआ. आवेदन हुए तो अब उनका वेरिफिकेशन में सुस्त चाल से हो रहा हैं. इतना ही नहीं जिनके नाम जुड चुके उनमें से कुछ लाभार्थी राशन की दुकानों पर अपने हक का निवाला लेने पहुंच रहे तो उनकों राशन डीलर टरका रहे हैं.


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