Jaipur: जयपुर पहली बार भारतीय गिद्ध जिप्स इंडिकस का रेस्क्यू उपचार पुनर्वास कर स्वतंत्र जंगल में आजाद किया. रक्षा संस्थान और वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में रेस्क्यू उपचार किया गया. 


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रक्षा जयपुर ने 27 जुलाई को मोडेल टाउन, मालवीय नगर जयपुर से एक जटायु जैसे पक्षी की रेस्क्यू के लिए फोन आया, जैसे ही टीम के सदस्य लोकेश यादव और  यशवंत सिंह मौके पर पहुंचे उन्होंने एक बड़ा गिद्ध होने की पुष्टि की. गिद्ध ने नेक ड्रॉप कर रखी थी. लेफ्ट विंग हलका ड्रॉपिंग था और जगतपुरा मैन रोड पर बाइक पर बैठा हुआ था. रक्षा संस्थान जयपुर के द्वारा वन विभाग को सुचित किया गया, लेकिन गिद्ध को वायरल इन्फेक्शन था. गिद्ध को रक्षा संस्थान जयपुर शेल्टर में शिफ्ट किया गया. रक्षा संस्थान डॉ. राकेश मिश्रा, डॉ. शुभम पंत और जयपुर जू के वरिष्ठ वेटरनरी डॉ.अशोक तंवर के संयुक्त तत्वाधान मे गिद्ध को पांच दिन का सपोर्टिव और लिक्विड थेरेपी दी गई, जिससे उनका पैरासिटिक लोड कम हो, इन्फेक्शन दूर हो जाए और पक्षी रिहाइड्रेट हो जाए. 


रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल ने बताया की बचाव करके लाया गया गिद्ध भारतीय गिद्ध जिप्स इंडिकस का 3.8 किलो का किशोर है. करीब 8 से 9 दिन बाद उसने पुनः छोटी छोटी उड़ान भरना चालू किया. नेक ड्रॉप भी नहीं कर रहा था. गिद्ध को 3 बार छोड़ने के प्रयास किए गए, जिमसे दो बार के प्रयास असफल रहे. 


इसके बाद गिद्ध को पुनः स्ट्रेंथ गेन करवाई गई. गिद्ध का निरंतर वजन जो की अब 4.8 किलो था और एक्टिविटी मे भी सुधार होता रहा. करीब 60 दिन बाद 27 सितंबर को रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर जनेश्वर चौधरी, सहायक वनपाल किशन मीना और रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल अभिषक बैरवा, यशवंत सिंह सिसोदिया, भूपेंद्र परेता द्वारा झालाना में गिद्ध को छोड़ने का तीसरा प्रयास किया गया. 


तीसरे प्रयास में बॉक्स खोलते ही गिद्ध उड़ गया, लेकिन थोड़े देर उड़ने के बाद फिर से वापस आकर औधि पर बैठ गया. करीब 4 घंटे तक बैठने के बाद गिद्ध ने दूसरी उड़ान ली और इस बार सफलतापूर्वक लंबी उड़ान ले चला था. भारतीय गिद्ध जिप्स इंडिकस को आईयूसीएन ने लुप्तप्राय श्रेणी में सूचीबद्ध किया है. यह पहली बार है कि रक्षा और वन विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे भारतीय गिद्ध जिप्स इंडिकस का सफलतापूर्ण रिलीज किया गया है. 


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