Gajendra Shekhawat on Rahul Gandhi : राहुल गांधी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों एक नए विवाद को खड़ा करने की कोशिश है. राहुल गांधी को सूरत की कोर्ट ने मानहानि के केस में सजा सुनाई और फिर प्रावधानों के चलते लोकसभा से सदस्यता समाप्त हुई. उसको लेकर कांग्रेस के नेता ने एक लिए गांधी परिवार, न्यायपालिका और सबसे ऊपर है, वो उतपात मचा रहें हैं. राहुल गांधी बार बार ये काम कर रहें हैं. राहुल गांधी ने 2019 में भी अनर्गल आरोप लगाए और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद माफी मांगनी पड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी टिप्पणी से बचना चहिए. लेकिन हर बार से ज्यादा बड़ी गलती की है. न्यायालय ने इस पर बार-बार भी माफी मांगना का विकल्प दिया, लेकिन राहुल गांधी ने न्याय पालिका का अनादर किया. कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप और नेता उनका न संविधान में न संस्था में विश्वास बचा है. देश की पीएम को जातिसूचक शब्द इस्तेमाल करना और पूरे ओबीसी वर्ग का अपमान करना. इस वाद का सरकार से कोई लेना देना नहीं था.


2018 से चल रहे मामले में अपने पक्ष को ठीक से नहीं रखना


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कानून के तहत लोकसभा के अध्यक्ष के पास विवेकाधिकार नहीं है कि वो कोई फैसला करे. कानून के तहत ही फैसला हुआ. लेकिन फिर जिस तरीके की अमर्यादित टिप्पणियां की गई ये दिखाता है कि गांधी परिवार अपने आप को क्लास अपार्ट समझता है. प्रमोद तिवारी ने यहां तक कह दिया कि गांधी पारिवार के लिए अलग कानून होना चहिए. ये संविधान की संस्थाओं का अपमान है. लोकतांत्रिक व्यस्थाओं का अपमान किया है. राज्यसभा के चेयरमैन ने अपने कक्ष में बातचीत का निमंत्रण दिया तो उससे चेयर पर बैठ -2 कहा कि हम नहीं आएंगे.


फिर जयराम रमेश ने कहा कि ''He is a Cheerleader''


सुप्रिया श्रीनेत ने कहा राज्यसभा के सभापति पार्टी लीडर हैं. इस तरह की टिप्पणी इन लोगों की मानसिकता को दिखाता है. इनको संविधान पर विश्वास और व्यस्था पर विश्वास नहीं है. अंबेडकर और गांधी का अपमान है. आजकल देश में होड़ मची है. जो लोग भ्रष्ट्राचार के आरोप में जेल जा रहें हैं. चाहे लालू, सिसोदिया हो या राहुल ये लोग अपनी तुलना गांधी और सावरकर से करते हैं. राहुल गांधी ने वीर सावरकर का अपमान किया. जिन लोगों ने आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर किया, उनको चाहने वालों की भावनाएं आहत की. राहुल गांधी को अगर सावरकर को जानना है तो अंडमान की उस जेल में जाकर 5 मिनट बैठिए, तो आप महसूस करेंग जो यातनाएं सावरकर ने झेली. इतने दशक बीत जाने के बाद भी उनकी यातनाएं महसूस की जा सकती हैं. तब आपको सावरकर का संघर्ष समझ आएगा. ऐसे वीर का अपमान करने से पहले 7 बार सोचना चहिए. आपको वहां जाकर माफी मांगना चहिए और उन करोड़ों लोगों से भी जिनकी भावनाएं आहत हुईं.


राहुल गांधी अपने आप को एलिट समझते हैं. इसीलिए देश का अपमान देश के बहार करते हैं. सेना के अदम्य साहस पर सवाल उठाते है और मनोबल गिराते हैं. प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के लोगों की खिल्ली उड़ाते हैं. चीन से अपनी पार्टी के लिए चंदा हासिल करते हैं. लोकतंत्र के सभी स्तंभों को चुनौती देकर अपने आप को उनसे ऊपर दिखाना चाहते हैं.


कम से कम देश के स्वतंत्रता सेनानियों की इज्जत करें


जब लालू यादव की सदस्यता गई तो तब सारा विपक्ष की आवाज कहां गई थी. सांसदों के काले कपड़े पहन कर जाना संसद की परिपाटी की अवमानना है. सांसदों को सफेद कपड़े पहन कर जाना चाहिए और राहुल गांधी को समझाना चाहिए.


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