Gajendra singh shekhawat change of tone: राजस्थान में बढ़ रहे महिला अत्याचार पर विधानसभा में सरकार के ही ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बयान का केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा, अभिनंदन है उनका, आखिर किसी ने तो सत्य बोलने का साहस राजस्थान में किया.


केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गुढ़ा का किया स्वागत


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शुक्रवार शाम भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि जिस तरह के हालात राजस्थान में हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं. मुख्यमंत्री के गृहनगर में विश्वविद्यालय में नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार होता है, गैंगरेप होता है. मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सात साल की अबोध बालिका के साथ कई बार यौन दुराचार होता है. उन्हीं के गृह जिले में दलित के साथ अत्याचार होता है. निरपराध लोगों को रात को गला रेत कर मार दिया जाता है.


शेखावत का बदले सुर


शेखावत ने गहलोत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मारवाड़ी में एक कहावत है- लारै बलती तो दीखै कोनी, डूंगर बलती दीखै, यानी मुख्यमंत्री के अपने गृह जिले में हो रहे हालात उन्हें दिखाई नहीं दे रहे और टिप्पणी वे दूसरे राज्यों की करते हैं.


भरतपुर के नेताओं को बिन पैंदे का लोटा बताया था


केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भरतपुर के नेताओं को बिन पैंदे का लोटा बता दिया था. हालांकि, उन्होंने यह तुलना झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से विधायक एवं सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को लेकर की थी. शेखावत ने कहा कि गुढ़ा कब किस के पास चले जाएं पता नहीं है. उनका तो भगवान ही मालिक है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में ऐसा कहा जाता है कि भरतपुर का लोटा बिना पेंदे का होता है पता नहीं चलता कब किधर गुड़क जाए. इसके बाद शेखावत बोले कि लोटा तो नहीं लेकिन भरतपुर के नेता जरूर बिना पैंदे के हैं.


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शेखावत का लोगों ने भारी विरोध कर पुतला दहन किया था


दरअसल गजेंद्र सिंह शेखावत झुंझुनू जिले में मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा के गांव गए थे. यहां उन्होंने बयान दिया था कि यहां का स्थानीय विधायक जो मंत्री है वह भरतपुर जैसे बिन पेंदी का लोटा है जो कहीं भी जा सकता है. कभी बसपा में तो कभी कांग्रेस में तो कभी सचिन पायलट गुट और कभी अशोक गहलोत गुट में शामिल हो सकता है. 


केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद भरतपुर जिले के लोगों में भारी विरोध कर पुतला दहन कर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया था. साथ ही उनसे इस बयान पर माफी मांगने को कहा था. शायद इसी वजह से इनके सुर बदले बदले नजर आये.