Jaipur News: फायर एनओसी नहीं होने पर नगर निगम प्रशासन सीलिंग और जुर्माने की कार्रवाई करता है लेकिन खुद अपने बाड़ों में जब्त सिलेंडरों का नियमों से ज्यादा भंडार रखकर गैस सिलेंडर रूल्स-2000 विस्फोटक एक्ट का उल्लंघन कर रहा है. ना तो इन बाड़ों में आग बुझाने के संसाधन लगे हैं और ना ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी यहां खड़ी रहती है. सवाल ये है कि हादसा होने पर जिम्मेदार कौन होगा?


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ये तस्वीरें स्वेज फार्म स्थित नगर निगम ग्रेटर के बाड़े की हैं, जहां निगम का सर्तकता दस्ता प्रतिदिन अस्थाई अतिक्रमण की कार्रवाई में जब्त सामान जमा करता हैं लेकिन इन बाड़ों में बड़ी संख्या में भरे हुए जब्त एलपीजी सिलेंडर बडे हादसे को निमंत्रण दे रहे हैं. नियमों के वितरित निगम के बाड़े में खुले में रखे गैस सिलेंडरों से आसपास रहने वाले लोग दशहत में रहते हैं. लोगों का कहना है कि फायर एनओसी नहीं होने पर नियमों का पाठ निगम के अफसर पढाते हैं लेकिन निगम प्रशासन खुद के गिरेबां में नहीं झांक रहा है. नियमानुसार किसी भी जगह पर सौ किलो (यानि की पांच सिलेंडर ) एलपीजी गैस से ज्यादा का स्टॉक नहीं किया जा सकता है लेकिन नगर निगम हैरिटेज के गोविंददेवजी के पीछे जनता मार्केट के पीछे बाड़े और निगम ग्रेटर के स्वेज फार्म स्थित बाड़े में खुले में चार सौ से ज्यादा सिलेंडर भरे हुए रखे हुए हैं, जो की गैस सिलेंडर रूल्स-2000 विस्फोटक एक्ट का उल्लंघन की श्रेणी में आता है. 



खास बात यह है कि न तो यहां आग बुझाने के संसाधन लगे हैं और ना ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी यहां खड़ी रहती है. ऐसे में अगर हादसा होता है तो आसपास के एरिया दुर्घटना का शिकार हो सकता है. उधर निगम प्रशासन हादसे का इंतजार कर रहा है. नीलामी नहीं होने तक सिलेंडर सुरक्षित कहां रखें इसका कोई विकल्प नहीं ढूंढ रहा हैं. अक्सर पुलिस और रसद विभाग, तेल कंपनियां पर अवैध रिफलिंग पर कार्रवाई करती हैं तो जब्त सिलेंडरों को आसपास गैस एजेंसी को सुपुर्द करती हैं जिससे गैस एजेंसी के गोदाम में सुरक्षित रखा जा सके लेकिन निगम प्रशासन नियम-कायदे ताक पर रखकर खुद अपने स्तर पर बाड़े में जब्त सामान के बीच इन सिलेंडरों को रखता हैं.



स्वेज फार्म पर रहने वाले लोगों का कहना है कि खुले में भरे हुए सिलेंडरों के कारण हमेशा भय बना रहता है. निगम प्रशासन ने बाड़े में जब्त सामान के साथ सिलेंडरो को भी ऐसे ही खुले में डाल रखा है. निगम के बाड़े के पास बहुमंजिला इमारते हैं, जिसमें लोग निवास करते हैं. यदि कभी स्पॉर्किंग हुई तो इसकी लपटें एक से दो किलोमीटर तक जाएंगी. एक के बाद एक विस्फोट होते हुए नजर आएंगे क्योंकि यहां सिलेंडरों की संख्या बहुत ज्यादा है. यदि निगम प्रशासन की सिलेंडरों को रखने की मजबूरी हैं तो इनकी गैस खाली करवाकर रखा जाए. सिलेंडरों में गैस होने से लीकेज और स्पॉकिँग का खतरा बना रहता हैं क्योंकि सबसे खतरनाक आग एलपीजी और ज्वलंतशील गैस से लगती है, जो सी श्रेणी में आती है. जहां भी एलपीजी स्टोरेज हो वहां पर स्वाचालित गैस सेप्रेशन सिस्टम लगाया जाना चाहिए और अग्नि सूचक यंत्र हो. यहां बिल्डिंग को ठंडा रखने या आग से बचाने के लिए स्वचालित फायर हाइड्रेट सिस्टम लगा हो साथ ही नेशनल बिल्डिंग कोड के हिसाब से पानी का टेंक हो. हर बिल्डिंग में भवन की ऊंचाई के मुताबिक एक लेडर लगा होना चाहिए ताकि ऐसी घटना होने पर ऊंचाई से आदमी को नीचे आने में मदद मिले.



बहरहाल, सड़क किनारे सिलेंडर रखकर सप्लाई करने, अवैध रिफलिंग करने, अवैध भंडारण करने पर जिम्मेदार एजेंसियां कार्रवाई करती हैं लेकिन नगर निगम के बाडो में खुले में सिलेंडर रखने पर किसी भी जिम्मेदार अफसरों की निगाह नहीं गई क्योंकि मामला सरकारी सिस्टम का हैं, इसलिए जिम्मेदारों को नींद से जागकर भरे हुए सिलेंडरों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्टिंग करना होगा...ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके.