जयपुर: निगम ग्रेटर में तत्कालीन आयुक्त से बदसलूकी मामले में दोषी पाए गए भाजपा के तीन पार्षदों को बर्खास्त कर दिया गया है. यह कार्रवाई राज्य सरकार की ओर से की गई है. साथ में छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है. भाजपा पार्षद शंकर शर्मा,अजय सिंह और पारस जैन को राज्य सरकार ने बर्खास्त किया है. मेयर डॉ. सौम्या पर कार्रवाई को लेकर अभी लीगल राय ली जा रही है.


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सौम्या गुर्जर पर सरकार ले रही लीगल राय


न्यायिक जांच में मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर भी दोषी पाई गई है. लेकिन मेयर मामले में रिपोर्ट पेश करने के बाद ही सरकार एक्शन ले सकती है. सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहे तो न्यायिक जांच की रिपोर्ट के आधार पर सौम्या गुर्जर को मेयर के पद से बर्खास्त कर सकती है, लेकिन इस मामले में सरकार कोई जल्दबाजी नहीं करना चाह रही.


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दरअसल, तत्कालीन नगर निगम कमीश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद सरकार ने सौम्या गुर्जर को 6 जून 2021 को मेयर पद से निलंबित कर दिया था और उनके खिलाफ न्यायिक जांच के आदेश दिए थे. सौम्या गुर्जर को मेयर पद से निलंबित के आदेश पर इस साल 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया था. सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद सौम्या गुर्जर वापस मेयर की कुर्सी पर बैठी थी.


निलंबन के दौरान 7 जून 2021 से 1 फरवरी 2022 तक कार्यवाहक के तौर पर भाजपा की शील धाभाई को मेयर की कुर्सी पर बैठाया था. दरअसल राज्य सरकार के निलंबन के आदेश पर स्टे के लिए सौम्या गुर्जर ने पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी.


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 यह हुआ था विवाद


दरसअल, विवाद की शुरुआत 4 जून 2021 को मेयर सौम्या गुर्जर के चैम्बर से हुई थी. तत्कालीन निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने चैम्बर में खुद के साथ मारपीट होने और बदसलूकी करने का आरोप लगाया था. इसकी शिकायत राज्य सरकार से करते हुए उन्होंने तीन पार्षदों के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मामला भी दर्ज करवाया था. उसके बाद सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच करते हुए मेयर और तीनों पार्षदों को निलंबित कर दिया था.