पृथ्वीराज फिल्म को लेकर करणी सेना और गुर्जरों ने दी चेतावनी, कहा- इतिहास से छेड़छाड़ हुई तो बर्दाश्त नहीं करेंगे
राजस्थान में करणी सेना ने एक बार फिर से बॉलीवुड की आने वाली फिल्म पृथ्वीराज (Prithviraj Film) को लेकर आपत्ति जताई है.
Jaipur: राजस्थान में बालीवुड फिल्मों (Bollywood Movies) पर संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. पद्मावत (Padmaavat Film) और पानीपत (Panipat Film) के बाद अब पृथ्वीराज चौहान फिल्म पर संग्राम छिड़ गया है. यशराज फिल्म प्रोडक्शन की आने वाली फिल्म पृथ्वीराज को लेकर करणी सेना के साथ-साथ गुर्जरों ने आपत्ति जताई है.
पहले पद्मावत, फिर पानीपत अब पृथ्वीराज
राजस्थान में करणी सेना ने एक बार फिर से बॉलीवुड की आने वाली फिल्म पृथ्वीराज (Prithviraj Film) को लेकर आपत्ति जताई है. यशराज फिल्म प्रोजेक्टशन (Yash Raj Film Projection) की आने वाली फिल्म पृथ्वीराज रिलीज से पहले ही विवादों में आ गई है. राजपूतों ने पृथ्वीराज फिल्म के टाइटल को लेकर नाराजगी जताई है. करणी सेना (Karni Sena) ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अंतिम क्षत्रिय हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर बनने वाली फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया है.
अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की इस फिल्म का टाइटल केवल पृथ्वीराज है, जो कि इतने बडे़ योद्धा के लिए कतई सम्मानजनक नहीं है. श्री राजपूत करणी सेना (Shri Rajput Karni Sena) के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना का कहना है कि फिल्म में और क्या अपमानजनक है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. उनका कहना है कि फिल्म का टाइटल पृथ्वीराज नहीं, बल्कि पृथ्वीराज चौहान होना चाहिए. टाइटल बदले नहीं तो विरोध होगा.
गुर्जरों की गर्जना, पृथ्वीराज राजपूत नहीं गुर्जर थे
वहीं, अबकी बार विरोध के लिए केवल करणी सेना ही मैदान में नहीं कूदी है बल्कि राजस्थान में गुर्जर आरक्षण की लड़ाई लड़ने वाले गुर्जरों ने भी फिल्म पर आपत्ति जताई है. गुर्जरों का कहना है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत नहीं बल्कि गुर्जर थे.
गुर्जरों का पृथ्वीराज चौहान को लेकर ये तर्क
गुर्जर नेता हिम्मत सिंह (Himmat Singh) का कहना है कि पृथ्वीराज फिल्म चंद बरदाई द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो के आधार पर बनाई गई हैं और पृथ्वीराज मूवी का टीजर में यहीं दिखाया गया है. इतिहास में उपलब्ध शिलालेखों के अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने माना हैं कि चंद बरदाई पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के लगभग 400 साल बाद 16वीं शताब्दी में पृथ्वीराज रासो महाकाव्य लिखा जो काल्पनिक हैं.
इतिहासकार के अनुसार चंद बरदाई द्वारा लिखा गया महाकाव्य प्रिंगल भाषा में लिखा गया हैं, जो बज्र और राजस्थानी भाषा का मिश्रण हैं. गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासन काल में संस्कृत भाषा का प्रयोग होता था न कि प्रिंगल भाषा का. पृथ्वीराज विजय महाकाव्य पंडित जयानक द्वारा लिखा गया जो उनके राज कवि थे. उनका कहना है कि ये ऐतिहासिक प्रमाण हैं कि 13 वीं शताब्दी के पहले राजपूत अस्तित्व में नहीं थे. हम ऐतिहासिक तथ्यों से ये साबित कर चुके हैं और ये इस तथ्य को वर्तमान में राजपूत जाति के लोगों ने भी माना हैं इसलिए तो अब राजपूत समाज के लोग अपने आपको क्षत्रिय बोल रहे न कि राजपूत.