Rajasthan News : 'मंदिर-मस्जिद विवाद' पर मोहन भागवत के बयान पर अजमेर दरगाह प्रमुख ने कह दी ये बड़ी बात!
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Rajasthan News : 'मंदिर-मस्जिद विवाद' पर मोहन भागवत के बयान पर अजमेर दरगाह प्रमुख ने कह दी ये बड़ी बात!

Rajasthan News : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद पर दिए बयान का अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खान ने समर्थन किया है. उन्होंने भागवत के विचारों को देशहित में बताते हुए कहा कि अगर इसे अपनाया जाए, तो भारत विकास की राह पर आगे बढ़ेगा. भागवत ने अपने बयान में मंदिर-मस्जिद विवाद को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल न करने की बात कही और एकजुटता का संदेश दिया.

 

Rajasthan News Ajmer Dargah chief said this big thing on Mohan Bhagwats statement on Temple Mosque dispute

Syed Zainul Abedin Ali Khan On Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद पर दिए गए बयान को लेकर अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली खान ने समर्थन जताया है. उन्होंने भागवत के विचारों को सही बताते हुए कहा कि अगर देश उनके बताए मार्ग पर चलता है, तो विकास की राह पर आगे बढ़ेगा.

सैयद ज़ैनुल आबेदीन ने कहा, "आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान स्वागत योग्य है. उन्होंने जो कहा है, वह देश के हित में है. हमें मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों में उलझने के बजाय देश के विकास पर ध्यान देना चाहिए. 2022 में भी भागवत जी ने यही बात कही थी, और इस बार भी उन्होंने अपने बयान से समरसता का संदेश दिया है." दरगाह प्रमुख ने आगे कहा, " मोहन भागवत का बयान सराहनीय है. अगर हम उनके विचारों को अपनाते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलते हैं, तो न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में हमारी एकता की मिसाल दी जाएगी."

क्या है मोहन भागवत का बयान?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे में 'हिंदू सेवा महोत्सव' के उद्घाटन समारोह में कहा था कि मंदिर-मस्जिद विवाद को बार-बार उठाकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसे मुद्दों को भुनाकर खुद को हिंदू नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जो उचित नहीं है.

एकजुट होकर रह सकते हैं- भागवत

भागवत ने यह भी कहा, "हमें यह दिखाना होगा कि हम एकजुट होकर रह सकते हैं. भारत में अक्सर अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चर्चा होती है, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदायों को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है."

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था, कि निचली अदालतें इस तरह के मामलों में कोई फैसला न सुनाएं और न ही सर्वे के आदेश जारी करें. दरगाह प्रमुख और आरएसएस प्रमुख के इन बयानों को देश में सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

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