Guru Pushya Yog 2023: गुरू पुष्य नक्षत्र पर मोती डूंगरी गणेशजी का हुआ महाअभिषेक, पढ़े इस मंदिर से जुड़ी कहानी
Guru Pushya Yoga 2023: गुरू पुष्य नक्षत्र पर जयपुर के मोती डोंगरी गणेश मंदिर में गणपति का पंचामृत अभिषेक किया गया. इसके बाद अथर्वशीर्ष मंत्रोच्चार से मोदक अर्पित किए गए. गणेशजी महाराज को सिंदूरी चोला धारण कराकर नवीन पोशाक धारण कराई गई. मंदिरों में गणपति अष्टोत्तर शतनाम का पाठ किए जा रहे है. मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में गणेशजी महाराज का पुष्याभिषेक किया गया.
Guru Pushya Yoga 2023, Moti Dungri Ganesh Jaipur: वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत सिद्धि योग और रवि योग, गुरू पुष्य नक्षत्र पर जयपुर के मोती डोंगरी गणेश मंदिर में गणपति का पंचामृत अभिषेक किया गया. इसके बाद अथर्वशीर्ष मंत्रोच्चार से मोदक अर्पित किए गए. गणेशजी महाराज को सिंदूरी चोला धारण कराकर नवीन पोशाक धारण कराई गई. मंदिरों में गणपति अष्टोत्तर शतनाम का पाठ किए जा रहे है. मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में गणेशजी महाराज का पुष्याभिषेक किया गया.
गुरू पुष्य नक्षत्र पर जयपुर के मोती डोंगरी गणेश का अभिषेक
सर्वप्रथम शुद्ध जल से फिर दूध, दही, घी, बूरा से तैयार पंचामृत से गजानन का अभिषेक किया गया. गंगाजल से स्नान कराकर नवीन पोशाक धारण कराई गई. गणेशजी महाराज को फूल बंगले में विराजमान किया गया. ब्रह्मपुरी माऊंट रोड स्थित दाहिनी सूंड वाले श्रीनहर के गणेशजी महाराज मंदिर में महंत जय शर्मा के सान्निध्य में सुबह श्री गणपति अथर्वशीर्ष और श्री गणपति अष्टोत्तरशत नामावली से गणेशजी का पंचामृत अभिषेक किया गया.
चांदपोल परकोटा गणेश मंदिर में 101 किलो दूध से अभिषेक
सूरजपोल के श्वेत सिद्धी विनायक गणेश मंदिर में महंत मोहन लाल शर्मा के सान्निध्य में गणेशजी महाराज का दुग्धाभिषेक किया गया.इसके बाद मूंग के लड्डुओं का भोग लगाया गया. चांदपोल परकोटा गणेश मंदिर में पुष्य नक्षत्र में 101 किलो दूध से गणेशजी महाराज का अभिषेक किया गया. युवाचार्य पंडित अमित शर्मा ने बताया कि नवीन पोशाक धारण करा फूल बंगला झांकी सजाई गई. गणपति अथर्वशीर्ष के पाठ कर गणपति सहस्त्रनामावली से मोदक अर्पित किए गए. श्रद्धालुओं को रक्षा सूत्र बांध हल्दी की गांठ वितरित की गई. गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर में राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में गणपति का पुष्याभिषेक कर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया.
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जयपुर का मोती डोंगरी गणेश जी का चमत्कारी मंदिर हैं. यह मंदिर जयपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है. जयपुर के प्राचीन व प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक मोती डूंगरी गणेश जी लगभग 800 वर्ष प्राचीन दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल मूर्ति प्रतिष्ठित है. इस मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रिंगार किया जाता है. यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस गणेश मंदिर में लोग दूर दूर से दर्शन करने आते हैं और गणेश जी से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.
मोती डोंगरी गणेश मंदिर में नए वाहनों की होती है पूजा
भक्तों मोती डोंगरी गणेश मंदिर, नए वाहनों की पूजा के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है.अतः हमेशा भक्तों की भीड़ से भरे रहने वाले इस मंदिर में, राजस्थान सहित देश के अन्य शहरों से लोग दर्शन करने के साथ साथ नए अपने नये वाहनों की पूजा करवाने भी आते हैं. ऐसा माना जाता है कि गणेश जी के इस मंदिर में वाहनों की पूजा करवाने से संबन्धित वाहन दुर्घटना ग्रस्त नहीं होता है. इसलिए मोती डोंगरी गणेश मंदिर में दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से भक्त लोग आते रहते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है.
मोती डोंगरी गणेश मंदिर का इतिहास
भक्तों मोती डोंगरी गणेश मंदिर के बारे में इतिहासकारों का कहना है कि गणेश जी के ये अद्भुत प्राचीन प्रतिमा, वर्ष 1761 में जयपुर के महाराजा माधो सिंह प्रथम की ससुराल यानि महाराजा माधो सिंह प्रथम की पटरानी के पीहर (मायका) मावली गुजरात से मंगवाई गई थी. कहा जाता है कि जिस समय यह प्रतिमा लाई गयी थी उस समय ये लगभग 500 वर्ष पुरानी हो चुकी थी.
नगरसेठ द्वारा मंदिर निर्माण
भक्तों मोती डोंगरी गणेश जी इस प्रतिमा जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल, गुजरात से लेकर आए थे. उन्ही की देखरेख में मोती डूंगरी मंदिर का निर्माण हुआ तथा उन्ही के द्वारा गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा करवाई गयी थी.
जानें क्या है इस मंदिर की मान्यता
भक्तों मोती डूंगरी गणेश मंदिर में यों तो हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन बुधवार व त्योहारों के अवसर पर इस मंदिर में आनेवाले भक्तों की संख्या में आम दिनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ोत्तरी हो जाती है. खासतौर से गणेश चतुर्थी, दोनों नवरात्रि, रामनवमी, विजयदशमी, धनतेरस और दीपावली के दिन तो इस मंदिर में आनेवाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुंचती है. इन अवसरों पर नए वाहनों की पूजा करवाने आनेवाले भक्तगण यहां विराजमान गणेश जी को सिंदूर का चोला चढ़ाकर लड्डू का भोग लगाते हैं और मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना करते हैं.