Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों का तबादला होने के बाद तत्काल आवास उपलब्ध नहीं होने और इस अवधि में सर्किट हाउस में सामान्य किराया देने से जुड़े मामले में प्रमुख विधि सचिव को समस्या निस्तारण के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस ऑफिसर्स एसोसिएशन की याचिका पर दिए.


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 सुनवाई के दौरान प्रमुख विधि सचिव प्रवीर भटनागर अदालत में पेश हुए. उन्होंने अदालत को आश्वस्त किया कि मामले में सेठी कमीशन और सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए निर्देशों की पालना चार सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद रखी है.


याचिका में अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि सेठी कमीशन ने न्यायिक सेवा को अन्य ऑल इंडिया सेवा से अलग प्रकृति का माना है. वहीं न्यायिक अधिकारियों को निशुल्क आवास देने का प्रावधान किया है. दूसरी ओर राजस्थान सर्किट हाउस नियमों के तहत ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों को सर्किट हाउस में ठहरने के लिए अधिकतम दिनों की बाध्यता नहीं है. जबकि न्यायिक अधिकारियों को सात दिन के बाद तय सामान्य किराया देना पड़ता है.


न्यायिक अधिकारी का तबादला होने पर उनके लिए ट्रांजिट हॉस्टल आदि की सुविधा भी नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार सेठी कमीशन की मनमाने तरीके से व्याख्या कर निशुल्क बिजली के लिए सिर्फ 125 यूनिट बिजली खर्च करने की बाध्यता कर रखी है.


Reporter: Mahesh Pareek


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