जयपुर में अतिक्रमण को लेकर हाई कोर्ट खफा, JDA सचिव को हर माह अतिक्रमण हटाने का ब्यौरा पेश करना का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की कॉलोनियों में अतिक्रमण से जुडे मामले को गंभीरता से लिया है. अदालत ने जेडीए सचिव को कहा है कि वे हर महीने दस तारीख को कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर बताए कि अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कार्रवाई की गई.
Jaipur News : राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की कॉलोनियों में अतिक्रमण से जुडे मामले को गंभीरता से लिया है. अदालत ने जेडीए सचिव को कहा है कि वे हर महीने दस तारीख को कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर बताए कि अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कार्रवाई की गई. वहीं अदालत ने जेडीए से कॉलोनियों के अतिक्रमण हटाने के मौजूदा एक्शन प्लान सहित भविष्य की कार्य योजना भी पेश करने को कहा है. अदालत ने कहा कि आदेश की पालना में जेडीए की कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं होनी चाहिए. यदि कार्रवाई नहीं हुई तो जिम्मेदार अफसरों को अदालत में हाजिर किया जाएगा. अदालत ने कहा कि हम अफसरों को दर्शन के लिए बल्कि जेल भेजने के लिए बुलाएंगे. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश विद्याधर नगर में अतिक्रमण को लेकर विष्णु कुमार व अन्य की याचिका पर दिए.
बॉडी- अदालत ने जेडीए के अधिवक्ता को कहा कि अतिक्रमण की शिकायत दर्ज करवाने के लिए हेल्प लाइन नंबर की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें और उसका पर्याप्त प्रचार भी करें. वहीं अतिक्रमण की शिकायत मिलाने पर उस पर तुरंत कार्रवाई की जाए. अदालत ने कहा कि पांच मंजिल की अनुमति पर दस मंजिले कैसे बन जाती है. जेडीए का काम विकास का है, लेकिन जेडीए दूसरे ही कामों में व्यस्त रहता है. जेडीए ने अपनी स्थापना के बाद आज तक सिर्फ फौरी कार्रवाइयां ही की है.
याचिका में अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा कि जेडीए ने याचिकाकर्ता को अतिक्रमी बताकर उसके भूखंड का नियमन नहीं किया है. यदि ऐसा है तो शहर की अस्सी फीसदी कॉलोनियां कृषि भूमि पर बसी हुई हैं और अतिक्रमण की श्रेणी में आती है. इसके बावजूद जेडीए ने उनका नियमन कर दिया. जवाब में जेडीए ने कहा कि याचिकाकर्ता ने निजी हित के लिए जनहित याचिका दायर की है. इस पर अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को अतिक्रमी मान भी लें तो जेडीए बताए कि उसने शहर से अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कार्रवाई की है.
Reporter- Mahesh Pareek
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