Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में सुविधाओं की कमी को लेकर मुख्य सचिव, चीफ पीडब्ल्यूडी इंजीनियर और कृषि आयुक्त सहित हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट और शहर की अधीनस्थ अदालतों में वकीलों, कोर्ट स्टाफ और पक्षकारों के वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते कोर्ट आने वालों को अदालत परिसर के बाहर सड़क पर वाहन खड़ा करना पडता है. जिसके चलते सडक पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है.


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इसके अलावा अदालतों में आने वाले पक्षकारों के बैठने के लिए पक्षकार दीर्घा का अभाव है, ऐसे में पक्षकार कोर्ट परिसर में बैठने के लिए पेड़ों की छाया तलाशते रहते हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि वर्ष 1956 में हाईकोर्ट भवन के लिए तीस बीघा भूमि आवंटित की गई थी, जबकि वर्तमान में हाईकोर्ट सिर्फ बीस बीघा भूमि पर ही बना हुआ है, शेष दस बीघा भूमि पर इंदिरा गांधी नहर मंडल, कर भवन और कृषि भवन बना हुआ है. हाईकोर्ट प्रशासन ने वकीलों को चेंबर सुविधा देने के लिए वर्ष 2015 में कुछ चेंबर्स का निर्माण कराया था, लेकिन वकीलों की संख्या को देखते हुए इन चेंबर्स की संख्या पर्याप्त नहीं हैं.


याचिका में गुहार की गई है कि हाईकोर्ट से सटी इंदिरा गांधी नगर मंडल की खाली पड़ी बिल्डिंग का उपयोग दूसरे किसी कार्यालय के लिए नहीं किया जाए और इस परिसर को भी हाईकोर्ट को सौंपा जाए. इसके अलावा याचिका के लंबित रहने के दौरान हाईकोर्ट आने वालों के लिए गोल्फ क्लब और इंदिरा गांधी नगर मंडल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था की जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.


Reporter - Mahesh Pareek


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