होली से पहले जयपुर में लोगों ने शुरू की ये अनोखी मुहीम, इस बार कैसे जलेगी होलिका
जयपुर: मार्च के माह में होलिका दहन का त्याैहार इस बार जयपुर मेें लकड़ी के बजाय गोकाष्ठ से मनाया जायेगा, डिप्टी मेयर पुनीत कर्नावट का उदेश्य राजस्थान की 240 निकायों से लेकर राज्य की 352 पंचायत समितियों तक इस मुहिम को पहुंचाना है. इससे जहां पर्यावरण बचेगा वहीं गौ संवर्धन भी हो सकेगा.
जयपुर: होली का त्याैहार आने वाला है, मार्च के माह में होलिका दहन होगा,जयपुर में इस बार होलिका दहन पर 2 हजार से ज्यादा पेड़ों को बचाया जाएगा. जिसके लिए मुहिम शुरू कर दी है. होलिका दहन पर इस बार जयपुर में 3 हजार से ज्यादा स्थानों पर लकड़ी की जगह गोकाष्ठ से होलिका दहन किया जाएगा. जयपुर ही नहीं प्रदेश के सभी शहरों में होलिका दहन गोकाष्ठ से हो इसके लिए जयपुर के अलग-अलग व्यापार मंडल, सामाजिक संगठनों और सोसायटियों ने जन जागृति मुहिम शुरू की है.
नगर निगम ग्रेटर के उपमहापौर पुनीत कर्णावट की मौजूदगी में व्यापार मंडल से जुड़े रवि नैयर और पंचायत समिति राजस्थान संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने बताया कि इस मुहिम के तहत सभी संगठनों ने जयपुर शहर में बनी अलग-अलग गौशाला संचालकों से गोकाष्ठ बनाने और निर्धारित रियायती दरों पर आमजन को उपलब्ध करवाने के लिए कहा. ये गोकाष्ठ जयपुर में प्रताप नगर स्थित पिंजरापोल गौशाला, बगरू स्थित गौशाला, दुर्गापुरा स्थित गौशाला समेत अन्य गौशालाओं में उपलब्ध होंगे.
डिप्टी मेयर पुनीत कर्नावट का उदेश्य :
राजस्थान की 240 निकायों से लेकर राज्य की 352 पंचायत समितियों तक इस मुहिम को पहुंचाना है. पेड़ो को बचाने ले लिए गौकाष्ठ अब बहुत अच्छा विकल्प हैं. इससे जहां पर्यावरण बचेगा वहीं गौ संवर्धन भी हो सकेगा. पर्यावरण और गौ संवर्धन के लिए गौकाष्ठ से होलिका दहन के लिए प्रदेश व्यापी अभियान शुरू किया गया है. प्रदेशभर में भी होलिका दहन के लिए जयपुर से गौकाष्ठ पहुंचाई जाएगी. डिप्टी मेयर पुनीत कर्नावट ने कहा की प्रदेश की सभी निकायों के जनप्रतिनिधियों से मिलकर गौकाष्ठ से होलिका दहन करें, यज्ञ से साथ ही गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा. डिप्टी मेयर ने बताया कि गोबर से गौकाष्ठ बनाने की शुरुआत तीन साल पहले की गई.
गौशाला प्रबन्धन ने देखा कि शहर की 100 से ज्यादा होलिका उत्सव समितियां होलिका दहन के लिए पेड़ों की कटाई पर निर्भर हैं. इसे देखते हुए गौकाष्ठ का निर्माण शुरू किया गया और इस बार होली में शहर के सभी स्थानों पर इसी गौकाष्ठ से होलिका दहन हो रहा है. इससे पेड़ो की कटाई रुकेगी और पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा.
इस मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि एक होलिका दहन कार्यक्रम में अगर पूरी तरह गोकाष्ठ का उपयोग होता है, तो उससे 12 साल के डेढ़ पेड़ों की बचत होती है यानी उन पेड़ों को कटने से बचाया जाता है. इसके अलावा बाजार में जो लकड़ी होलिका दहन या अन्य कार्यक्रम के लिए उपलब्ध होती है उसकी 50 फीसदी से भी कम रेट्स पर ये गोकाष्ठ उपलब्ध होते है. उन्होंने बताया कि इन गोकाष्ठ को बेचने से जो पैसा मिल रहा है वह सारा गौशालाओं में गायों के चारा-पानी में खर्च किया जाता है.