Jaipur: आपने देखा होगा कि घर मे चाहे कोई पूजा पाठ हो या शादी-विवाद जैसे शुभ कार्य, उन सबमें पीतल के बर्तन जरूर रखे जाते हैं. आखिर शुभ कार्यों में पीतल के बर्तन रखने के पीछे की वजह क्या है, क्या आपने कभी इस बारे में जानने की कोशिश की है. 


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अगर आप वजह नहीं जानते हैं तो चिंता की बात नहीं है, आज हम आपको पीतल के बर्तन का रहस्य बताएंगे. ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने पीतल के बर्तनों की अहमियत बताई है. आप भी जानिए-


भगवान विष्णु को प्रिय है पीला रंग
हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक पीतल का रंग पीला होता है.
पीला रंग भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं को बहुत प्रिय है.
ये रंग बलिदान, त्याग और आध्यात्म का प्रतीक माना जाता है.
पीतल के बर्तनों का उपयोग हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक किया जाता है.
फिर चाहे नवजात बच्चे का जन्म, शादी, गोदभराई या अंतिम संस्कार ही क्यों ना हो.



देवी-देवता देते हैं मनचाहा वरदान
पीतल के बर्तन का उपयोग करने से जीवन पर बृहस्पति ग्रह का सुखद प्रभाव पड़ता है.
बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं.
पीतल के बर्तन में पूजा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं.
जातकों को मनचाहा वरदान देते हैं.
पीतल के बर्तन में तुलसी पर जल चढ़ाने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं.
अपने भक्तों के घर में सुख-समृद्धि भर देती हैं.


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इन बर्तनों का कभी ना करें इस्तेमाल
भगवान के भोग के लिए चढ़ाया जाने वाला प्रसाद पीतल के बर्तन में पकाया चाहिए.
ऐसा करने से पूजा का प्रभाव दोगुना हो जाता है.
पूजा-पाठ के दौरान भूलकर भी लोहे, एल्युमिनियम या कांच के बर्तनों का इस्तेमाल ना करें.
इन धातुओं से बनी मूर्ति भी पूजा के लिए ना रखें.
ऐसा करने से देवी-देवता अप्रसन्न हो जाते हैं और आपको कष्ट झेलना पड़ता है.


डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में लिखी किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि Zee Rajasthan नहीं करता. मान्यताओं के आधार पर इकट्ठा की गई ये जानकारी हम महज सूचना की तरह पहुंचा रहे हैं. इन्हें मानना या न मानना केवल आप पर निर्भर करता है. किसी भी उपाय का इस्तेमाल करने से पहले अपने भरोसेमंद विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.