Jaipur: नाबालिग के अपहरण को लेकर मंडावर थाने में दर्ज एफआईआर पर 13 दिन में एफआर पेश करने के मामले में अदालती आदेश की पालना में जयपुर रेंज आईजी उमेश चन्द्र दत्ता हाई कोर्ट में पेश हुए. अदालत ने आईजी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण कर दिया और नाबालिग पीड़िता को उसकी मर्जी के आधार पर परिजनों से साथ भेज दिया. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता के परिजन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.


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सुनवाई के दौरान आईजी ने अदालत को बताया कि अपहरण के मामले में जांच अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है. वहीं निचली अदालत में पेश एफआर को वापस लेकर मामले की अग्रिम जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है. इसके साथ ही अदालत में पेश पीड़िता ने कहा कि वह अपने पिता के साथ जाना चाहती है. इस पर अदालत ने उसे पिता के साथ भेजने के आदेश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया. गौरतलब है कि मामले में गत चार अगस्त को दौसा के मंडावर थाने में नाबालिग के अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. वहीं नाबालिग के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लापता को तलाशने की गुहार की.


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 इस पर हाईकोर्ट ने आठ अगस्त को जांच अधिकारी को आदेश जारी कर लापता को हाईकोर्ट में पेश करने को कहा. इसके बाद 17 अगस्त को आईओ ने मामले में एफआर पेश कर दी. वहीं गत सुनवाई को थानाधिकारी व मामले के अनुसंधान अधिकारी ने पीडिता को पेश कर कहा कि वह 17 साल से बडी है, लेकिन अभी वयस्क नहीं हुई है. इसके अलावा मामले में एफआर पेश की जा चुकी है. इस पर अदालत ने पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज नहीं करने और 13 दिन में ही एफआर पेश करने पर नाराजगी जताते हुए रेंज आईजी को पेश होने के आदेश दिए थे.


Reporter- Mahesh Pareek