Bangru: बगरू के निकटवर्ती दहमीकलां गांव स्थित प्राचीन आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य नवीननंदी महाराज का 21वां वर्षायोग एवं चातुर्मास स्थापना दिवस आरंभ किया. अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि, गुरुपूर्णिमा महोत्सव और चातुर्मास कलश स्थापना समारोह का आयोजन आचार्य नवीननंदी महाराज ससंघ के सानिध्य में किया गया.


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 कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी राकेश जैन, राजकुमार खण्डाका और कुलदीप, आशीष चौधरी ने ध्वजारोहण करके किया. इसके उपरांत प्रियंका जैन ने मंगलाचरण, महावीर पाटनी, सुनील बगड़ा के परिवार ने चित्र अनावरण और भागचंद बाकलीवाल, रवि गंगवाल, ज्ञान बज परिवार ने दीप प्रवज्जलन किया.


इस दौरान भगवान आदिनाथ का पंचामृत रसों जल,चंदन, दूध, दही, सर्वोषधि आदि से कलशाभिषेक किया गया और दहमीकलां मंदिर ट्रस्ट समिति अध्यक्ष कुलदीप चौधरी, आशीष चौधरी ने विश्व शांति की कामना की.


चातुर्मास मंगल कलशों की स्थापन
 इस दौरान पांच मुख्य कलशों सहित 55 कलशों की स्थापना की गई. मुख्य कलश अश्व कलश की स्थापना कुलदीप, आशीष, अर्पित, साहिल, रवि, मधु, राखी, आरती, कनन, कयारा एवं समस्त चौधरी परिवार द्वारा की गई. इसके बाद चार गज कलशों की स्थापना महावीर प्रसाद मनोज कुमार पाटनी, राजकुमार खण्डाका, दुर्गालाल, हेमंत जैन, प्रवीण, प्रियंकेश, प्रियंका, प्रेरक जैन की ओर से की गई.


गुरुपूर्णिमा पर अष्ट द्रव्यों से हुई पूजा
मंदिर ट्रस्ट समिति महामंत्री प्रमोद बाकलीवाल ने बताया कि गुरुपूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु मौजूद रहे, इस अवसर पर आचार्य नवीन नंदी महाराज के जल, दूध, चंदन, केसर, गुलाब, दही आदि रसों से चरणाभिषेक किये गए, गुरु पूजा अष्ट द्रव्यों से की गई, जिसके उपरांत जल, चंदन अर्घ चढ़ा, अक्षत, पुष्प, नैवेघ, दीप, धूप, फल, अर्घ द्रव्यों से श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजन किया गया.
 
अंत मे समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा मंगल पाठ का गुणगान कर महार्घ चढ़ाया जाएगा. मानसरोवर, सांगानेर, प्रताप नगर, मुरलीपुरा, जोहरी बाजार, ज्योति नगर, बगरू, झोटवाड़ा, महेश नगर की महिला मंडलो और नवयुवकों ने संगीत, भक्ति और श्रद्धा के साथ गुरुभक्ति कर महोत्सव मनाया.


भक्ति और आराधना का पर्व है चातुर्मास - आचार्य नवीननंदी


आचार्य नवीननंदी महाराज ने महोत्सव के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन में कहा कि " चातुर्मास का पर्व तप और साधना का पर्व है भक्ति और आराधना का महापर्व है. एक मात्र चातुर्मास है जिसमे साधु समाज से ना केवल जुड़ते है बल्कि साधु भी एक स्थान पर विराजमान रहकर भगवान से जुड़ने के लिए आराधना करते है. चातुर्मास का पर्व हिंसा से बचने के लिए स्थापित होते है, वर्षा होने के चलते इस दौरान अनेकों ना दिखने वाले जीवों की उत्पति हो जाती है जिसमें सदैव हिंसा होने का डर सताता है इसी पाप के भागी बनने से बचने के लिए चातुर्मास स्थापित किया जाता है.


दहमीकलां में एक भी जैन परिवार नहीं


दहमीकलां ग्राम में एक भी जैन परिवार नही है उसके बावजूद पिछले काफी वर्षो से बगरू और जयपुर जैन समाज के श्रद्धालुगण 1500 वर्ष प्राचीन आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर की देखभाल कर रहे है और अब आचार्य श्री के चातुर्मास की व्यवस्थाओ को देख रहे है. क्षेत्र में दहमीकलां के दूसरे समाजों से जुड़े श्रद्धालुगण भी व्यवस्थाओ में सहयोग कर धर्म की प्रभावना कर रहे है.


Repoter: Amit Yadav


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