भारत के इस गांव में लोग कभी नहीं पहनते जूते-चप्पल
Bizarre News: भारत में कई ऐसे गांव हैं, जहां कई सारी अजीबोगरीब परंपराएं निभाई जाती हैं. वहीं, एक ऐसा गांव है, जहां लोग जूता-चप्पल भी नहीं पहनते है और ना ही बीमार होने पर अस्पताल जाते हैं.
Bizarre News: पूरे भारत में कई संस्कृति के लोग रहते हैं. ऐसे में यहां कई गाव ऐसे भी हैं, जहां लोगों को अपने नियम हैं. हिमाचल प्रदेश में एक गांव ऐसा है, जहां देश का संविधान भी एक तरह से लागू नहीं है. यहां को लोग अपने नियम के इतने पक्के हैं, कि वो बाहर के लोगों से हाथ भी नहीं मिलाते हैं. इसके अलावा किसी और समुदाय में शादी भी नहीं कर सकते हैं. वहीं, आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जहां के लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते. साथ ही बाहर से आने वाले लोगों के लिए भी यही नियम है.
यह गांव आंध्र प्रदेश में है, जिसका नाम वेमना इंदलू है. यह गांव तिरुपति बालाजी से 50 किलोमीटर दूर बसा हुआ है, जिसमें 25 परिवार रहते हैं और यहां की आबादी 80 लोगों की है. यह गांव बहुत छोटा है लेकिन यहां की परंपराएं काफी अनोखी हैं. गांव के अधिकतर लोग अशिक्षित है और पूरी तरह खेती पर ही ही निर्भर है. यहां के लोग किसी अफसर से ज्यादा अपने देवता और सरपंच की बात मानते हैं.
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जानकारी के मुताबिक, इस गांव में पलवेकरी समुदाय से जुड़े लोग रहते हैं और अपनी पहचान दोरावारलू के रूप में करते हैं. आंध्र प्रदेश में इस जाति को पिछड़े वर्ग में रखा गया है. यहां के लोग अस्पताल नहीं जाते हैं. स्थानीय लोगों को कहना है कि भगवान जिनकी वे पूजा करते हैं, वह सब संभाल लेंगे. ये लोग तिरुपति भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने नहीं जाते है. यहां के लोग गांव एक ही मंदिर में पूजा करते हैं. जब लोग बीमार होते हैं तो यहां नीम का एक वृक्ष है, उसकी परिक्रमा करते हैं.
यहां के लोगों को नियम इतने सख्त है कि अगर कोई बाहर से आए तो उसे भी जूते-चप्पत उतारकर ही गांव में एंट्री मिलती है. इतना ही नहीं यहां के नियमों का अधिकारियों को भी पालना करनी होती है. इसके अलावा अगर यहां कोई बाहर से आता है, तो वह नहाए-धोए प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही महिलाओं को पीरियड्स के दौरान गांव के बाहर रखा जाता है और वही पर उन्हें सभी चीजें दी जाती है.
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