Jaipur: राजस्थान के बजट में सीएम गहलोत ने ऐसे परिवारों को बड़ी राहत दी है, जिनके घर में बच्चे जन्म से बोल और सुन नहीं पाते. राज्य बजट में सीएम गहलोत ने कॉक्लियर इम्प्लांट को चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल कर सरकार ने जन्मजात दिव्यांगों को बड़ी सौगात दी है. राज्य में अब तक 1100 बच्चों का कॉक्लियर इम्प्लांट कर चिकित्सक उनकी जिंदगी बदल कर उन्हें बोलने और सुनने के सक्षम बना चुके हैं.


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कॉक्लियर इम्प्लांट करवाने का खर्चा महंगा होने से प्रदेश के बहुत से ऐसे दिव्यांग अभी भी इलाज लेने में सक्षम नहीं है, लेकिन कॉक्लियर इम्प्लांट दिवस से पहले सरकार ने इसे चिरंजीवी योजना में शामिल कर अब तक इलाज से वंचित दिव्यांगों में एक नई उम्मीद जगा दी है. राजस्थान 2011 में आंध्र प्रदेश के बाद दूसरा राज्य बना जब यहां मुख्यमंत्री सहायता कोष से कॉकलियर इम्प्लांट किया जाने लगा. इनमें से 800 को एकदम मुफ्त इलाज मिला. 



एसएमएस अस्पताल के ईएनटी विभाग के प्रोफसर डॉ. मोहनीश ग्रोवर के अनुसार सरकारी अस्पताल में भी एक इम्पलांट का खर्चा करीब 4 लाख 60 हजार रुपए तक आता है और निजी अस्पताल में इलाज ले तो करीब 8 लाख रुपए तक खर्चा आता है. इसके बाद भी हर साल मशीनों के एसेसरीज का खर्चा आता है, जो भी महंगा होता है. मुख्यमंत्री सहायता कोष से इलाज करवाने वालों का सालाना एसेसरीज का खर्चा तो 75 प्रतिशत तक खर्चा लाभार्थी के 18 साल होने तक सरकार वहन करती है, लेकिन अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में कॉकलियर इम्प्लांट को अब चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया है. अब निजी अस्पताल में भी दिव्यांग अपना इलाज करवा सकेंगे.