ISRO 5 space missions 2023: Chandrayaan-3 के सफल और सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो (ISRO)  के सभी वैज्ञानिकों ने अब अगले मिशन की तैयारी में जुट गये हैं.  इसके मिशन में मिशन सूरजयान के लिए आदित्य-एल1, दूसरा एक्स-रे पोलारिमेट्री मिशन. जिसका उद्देश्य उज्ज्वल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गति की अध्ययन करना है. तीसरा अंतरिक्ष की स्टडी के लिए और चौथा गगनयान. आइए जानते हैं कि इस साल इसरो (ISRO) के कौन-कौन से बड़े और अनोखे मिशन हैं जिसकी ताकत पूरी दुनिया देखेगी.


आदित्य एल1 मिशन- (Aditya-L1)


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चंद्रयान-3 के ठीक बाद भारत का सूर्ययान यानी आदित्य-एल1 (Aditya-L1) मिशन लॉन्च होना है. सूर्य को स्टडी करने के लिए इंडिया का पहला स्पेस मिशन होगा. आदित्य एल1 का संस्कृत शब्द आदित्य से लिया गया है जो सूर्य के अनेक नामों में से एक है. संस्कृत में आदित्य का मतलब होता है सूर्य और एल1 एक लाग्रंगियन पॉइन्ट के नाम पर रखा गया है, जहां इसे प्लेस किया गया है. लाग्रंगियन पॉइन्ट अंतरिक्ष में एक ऐसी स्थिति होती है, जो पृथ्वी से भेजी गई चीज को वहां रोके रखती है. पहले इस मिशन का नाम आदित्य 1 था लेकिन बाद में इसे आदित्य एल1 मिशन नाम दिया गया. इस बारे में आपको अलग से जानकारी दूंगा आखिर इस मिशन का नाम क्यों बदला गया. ये मिशन अगर सही सलामत लांच हो गया सू्र्य के रहस्यमयी जानकारी मिल सकेगी. इसके लांच की संभावित तारीख 30 या 31 अगस्त या फिर सितंबर महीने के पहले हफ्ते में हो सकती है. 


मिशन गगनयान (Gaganyaan)  


गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) मिशन के अपकमिंग मिशन गगनयान (Gaganyaan)  एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. भारतीय वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम कर रहे हैं. तीन अंतरिक्ष मिशनों को कक्षा में भेजा जाएगा. इन तीन मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा. अगले महीने ISRO इंसानों को अंतरिक्ष में भेज रहा है, जानिये गगनयान मिशन क्या है ?


जानें गगनयान मिशन क्या है


गगनयान मिशन के तहत इसरो अपने यंत्र की मदद से एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष की यात्रा कराने की तैयारी में है. यह ऑर्बिटल मॉड्यूल के तहत किया जाएगा. यह दो भाग में तैयार किया जा रहा है. पहला क्रू मॉड्यूल जिसमें एस्ट्रोनॉट्स रहेंगे और दूसरा सर्विस मॉड्यूल जो क्रू मॉड्यूल को ऊर्जा देगा. जिसकी मदद से यंत्र चलेगा. इस यान से एस्टोनॉट्स को धरती से करीब 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजगा. इस यान को एक से तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. यह यान पृथ्वी के चारों ओर गोलकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. इसके बाद यह तय स्थान पर समुद्र में लैंड करेगा. 


मिशन एक्सपोसैट (XPoSat)


एक्सपोसैट (XPoSat) यानी एक्स-रे पोलैरीमीटर सैटेलाइट (X-ray Polarimeter Satellite) की लॉन्चिंग भी इसी साल होने वाली है. इसके लिए इसरो पूरी तरह तैयार है.  यह देश का पहला पोलैरीमीटर सैटेलाइट हैं. यह अंतरिक्ष में एक्स-रे सोर्सेस की स्टडी कर जानकारी जुटाएगा. यह लॉन्च के लिए लाइन में खड़ा है लेकिन इसके लॉन्चिंग की तारीख का अभी खुलासा नहीं किया गया है. 


मिशन निसार (NISAR)


NASA और ISRO ने निलकर बनाई NISAR Satellite का निर्माण किया है. (NISAR) निसार सैटेलाइट यानी (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) जो पूरी धरती को कई तरह की आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की पहले ही सूचना दे देगा. इसरो और नासा ने साल 2014 में समझौता हुआ था. इस सेटेलाइट की बात करें तो इसका वजन 2800 किलोग्राम है. इसमें दो बैंड लगे हुए है. एक L बैंड दूसरा S बैंड. ये बादलों के बीच तस्वीर लेने में पूरी तरह सक्षम है. मौसम कैसी ही हो ये जानकारी देगा रहेगा. इसकी लांचिंग संभवत: 2024 में होगी.


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इन्सैट-3डीएस (INSAT3DS)


इन्सैट-3डीएस जलवायु का अध्ययन करेगा.  बता दें कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है. पृथ्वी का तापमान बीते 100 वर्षों में 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ गया है. भारतीय वैज्ञानिक इस मिशन पर लगातार काम कर रहे हैं. जल्द ही यह मिशन भी पूरी दुनिया में भारत के लिए एक मिसाल पेश करेगा. पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से हिमनद पिघल रहे हैं और महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा, परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है. इनसैट -3डी एक मौसम संबंधी, डेटा रिले उपग्रह है जो सहायता प्राप्त खोज और बचाव उपग्रह के रूप ने भी कार्य कर सकता है.