Rajasthan News: आबकारी विभाग में अब सामान्य शाखा और निरोधक दल को मर्ज किए जाने की कवायद हो रही है. हालांकि, दोनों ही शाखाओं के कार्य क्षेत्र में काफी भिन्नता है. सामान्य शाखा द्वारा जहां मदिरा दुकानों का आवंटन, बंदोबस्त और संचालन से जुड़ा कामकाज किया जाता है. वहीं, निरोधक दल का मुख्य कार्य अवैध शराब बनाने, बिक्री, परिवहन आदि पर रोक लगाने का है, लेकिन इन दिनों आबकारी विभाग के स्तर पर दोनों ही सेवाओं को मर्ज करने का कार्य किया जा रहा है. 


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आबकारी विभाग में निरीक्षक और प्रहराधिकारियों को किया जाएगा एकीकृत 
जानकारी के अनुसार, विभाग अपने राजस्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह संभावनाएं तलाश रहा है कि अब सर्किलों को छोटा किया जाए. विभाग में निरीक्षक और प्रहराधिकारियों को एकीकृत कर छोटे-छोटे सर्किलों का प्रभार दिया जाए, जिससे इन सर्किलों में सभी मदिरा दुकानों का समयबद्ध आवंटन और संचालन किया जा सके. हालांकि, दोनों ही सेवाओं की चयन प्रक्रिया, वेतनमान और पदोन्नति की प्रक्रिया में भारी अंतर होने के चलते इसका अंदरखाने विरोध हो रहा है. दरअसल, वर्ष 2017 से एक्स सर्विसमैन की विभागीय भर्ती से आए हुए जमादार प्रथम श्रेणी को पदोन्नति देकर प्रहराधिकारी बनाया जा रहा है, जो कि आबकारी निरीक्षक के समकक्ष नहीं माने जा सकते. 



जानिए, दोनों कैडर में क्या है भिन्नता ?
आबकारी निरीक्षक और निरोधक दल के प्रहराधिकारी की भर्ती प्रक्रिया भिन्न है. निरीक्षकों की भर्ती RAS & RTS भर्ती के जरिए की जाती है. वहीं, प्रहराधिकारी की भर्ती एनसीसी C सर्टिफिकेट के आधार पर होती है. जमादार ग्रेड-प्रथम से पदोन्नति के जरिए भी प्रहराधिकारी बन जाते हैं. इस तरह दोनों की भर्ती प्रक्रिया और योग्यता में जमीन-आसमान का अंतर है. वहीं, आबकारी निरीक्षक ग्रेड द्वितीय की पिछले 20 वर्ष से ग्रेड पे 3600 है, बढ़ोतरी नहीं हुई है. वहीं, प्रहराधिकारी की वर्ष 2017 से पूर्व ग्रेड पे मात्र 2400 थी. बाद में सरकार द्वारा इसे बढ़ाकर 3600 किया गया. जमादार ग्रेड प्रथम 1 स्टार होता है, पदोन्नति पर प्रहराधिकारी होते ही 3 स्टार मिलते हैं. देश में अन्य सेवाओं में इस तरह की पदोन्नति का प्रावधान नहीं है. 



राजस्थान आबकारी सेवा संघ ने भी किया विरोध 
विभाग में होने जा रहे इस बदलाव को लेकर राजस्थान आबकारी सेवा संघ ने भी विरोध किया है. सेवा संघ की ओर से वित्त विभाग के उच्चाधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया है. हालांकि, अभी विभाग के स्तर पर यह मंथन जारी है कि एकीकृत बल बनाए जाने के बाद कार्यक्षेत्र का बंटवारा किस तरह होगा. दोनों सेवाओं के अफसरों में समानता नहीं होने का विरोध बड़े स्तर पर होने की आशंका बनी हुई है. 



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