Jaipur: देश की अदालतों में बढ़ते मामलों के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से हर वर्ष राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जा रहा है . शनिवार को साल 2023 की पहली लोक अदालत का आयोजित किया गया है . लोक अदालत को लेकर प्रदेश में 500 से अधिक बैंचों का गठन किया गया है . इन बैंचों में सुनवाई के लिए 8 लाख से अधिक प्रकरण चिन्हित किए गए है.


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ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्मय से लोक अदालत के जरिए पक्षकारों के बीच आपसी रजामंदी से मुकदमों का निस्तारण किया जा रहा है . राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार देशभर में 11 फरवरी को इस वर्ष की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है . राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और रालसा के मुख्य संरक्षक जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने दीप प्रज्जवलित कर विधिवत शुभारंभ किया.


 इस मौके पर अन्य न्यायाधीशों के साथ ही अधिवक्ता और पक्षकार भी मौजूद रहे . लोक अदालत का नारा : न कोई जीता - न कोई हारा की तर्ज पर राष्ट्रीय लोक अदालत में पक्षकारों के बीच आपसी रजामंदी से राजीनामा योग्य प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है . राष्ट्रीय लोक अदालत में आपसी रजामंदी से निस्तारित प्रकरणों की अपील भी नहीं होगी . इससे अदालतों में लंबित प्रकरणों की संख्या में कमीं तो आएगी ही ,बल्कि आपसी राजीनामे से पक्षकारों के लंबित प्रकरणों का त्वरित निस्तारण भी होगा .


राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से राजस्थान में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर खास तैयारियां की है . राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न अधिकरणों ,आयोगों ,मंचों और प्राधिकारियों के समक्ष लंबित राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण , चैक अनादरण , धन वसूली , किराएदारी , बंटवारा , निषेधाज्ञा ,घोषणा सरीखे सिविल प्रकरणों के साथ ही पारिवारिक प्रकरण, राजस्व प्रकरण सहित अन्य प्रकरणों के निस्तारण का प्रयास किया जा रहा है . राष्ट्रीय लोक अदालतों में इस बार 8 लाख से अधिक प्रकरण सूचीबद्ध किए गए है . इनमें न्यायालयों में लंबित 3 लाख 37 हजार 284 अदालतों में लंबित प्रकरण और 4 लाख 65 हजार 614 प्री लिटिगेशन के प्रकरण शामिल है . राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए प्रदेश में तालुका स्तर तक 520 बैंचों का गठन किया गया है .


लंबित प्रकरणों के निस्तारण के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शुरू की गई यह पहल रंग ला रही है . राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए प्रकरणों का निस्तारण होने से एक ओर जहां पक्षकारों का खर्च बच रहा है, तो वहीं अदालतों में लंबे समय से लंबित प्रकरणों में भी कमीं आ रही है .


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