Jaipur News: राजस्थान हाइकोर्ट ने पृथ्वीराज नगर में सोसायटी पट्टों पर बने हजारों मकानों में बिजली कनेक्शन से जुडे़ मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक का ब्यौरा पेश करने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने 17 मई को जेवीवीएनएल के सक्षम अधिकारियों को भी अदालत में हाजिर रहने को कहा है. अदालत ने कहा कि प्रकरण में बुधवार को फैसला दिया जा सकता है.


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जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश अनंत कासलीवाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए. वहीं अदालत ने जेवीवीएनएल के पैनल से अधिवक्ता जयंती गौड़ को हटाए जाने पर नाराजगी जताई है. अदालत ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष महेन्द्र शांडिल्य को न्याय मित्र नियुक्त करते हुए उनसे मामले में जांच करने के लिए कहा है.


मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सीएस के शपथ पत्र सहित बैठक का ब्यौरा पेश नहीं किया. अदालत के नाराजगी जताने पर एएजी आरपी सिंह ने कहा कि वे मीटिंग का ब्यौरा पेश कर देंगे. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन नहीं देने के चलते आमजन को बिजली नहीं मिल पा रही है और उन्हें परेशानी हो रही है.


दरअसल पिछली सुनवाई पर अदालत ने राज्य के सीएस से शपथ पत्र सहित यह बताने के लिए कहा है कि क्या पीआरएन व कच्ची बस्ती में बिजली कनेक्शन देने के लिए उनकी व जेवीवीएनएल की पॉलिसी अलग-अलग है. वहीं अदालत ने राज्य सरकार से उस मीटिंग के मिनट्स भी पेश करने के लिए कहा है, जिसमें पीआरएन में सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन देने के लिए मना किया था.


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पिछली सुनवाई के दौरान जेवीवीएनएल के एमडी आरएन कुमावत ने अदालत में उपस्थित होकर कहा था कि वे तो कच्ची बस्ती वालों को भी बिजली कनेक्शन दे देते हैं, क्योंकि बिजली मूलभूत सुविधा है. जिस पर राज्य के एएजी ने कहा था कि राज्य सरकार का यह इरादा नहीं है कि वह सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले और अतिक्रमियों को बिजली कनेक्शन मुहैया कराए. दरअसल याचिकाओं में कहा था कि राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी एक्ट की धारा 43 के तहत प्रार्थियों को बिजली कनेक्शन दिया जाए और यह उनका अधिकार है व इसे रोका नहीं जा सकता।.