Jaipur JLF: जेएलएफ में पहुंची सुधामूर्ति ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उसके पेरेनट्स पंजाबी थे. जो रावलपिंडी में रहे पार्टिशन के बाद वो दिल्ली आ गए. वहां से बेंगलुरू मूव किया और आज पूरे विश्व में उनके रिलेटिव फैले हुए हैं. इससे उनकी जड़े तो फैली हुई हैं, लेकिन गहरी नहीं. जबकि उनके खुद के रिलेटिव कर्नाटक में रहे. उनका शुरू से एक ही कल्चर एक ही नेशन रहा इसलिए उनकी जड़े गहरी हैं.


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लेखिका और ब्रिटेन पीएम की मदर इन लॉ सुधामूर्ति ने कहा कि बच्चों को गेजेट्स के बजाए किताबें पढ़नी चाहिए. क्योंकि गेजेट्स बच्चों को डिस्ट्रेक्ट करते हैं. बच्चों को 14 साल तक गेजेट्स से दूर रखें उन्हें किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें. 14 साल बाद उन पर छोड़ दें कि वो किताबें पढ़ता चाहते हैं या नहीं. वहीं उन्होंने कहा कि पॉवर और मनी से लोग बदल जाते हैं.


ऐसे में उन्होंने ईमानदारी से कठिन परिश्रम करने की युवाओं को नसीहत दी. सुधामूर्ति ने दामाद के प्रधानमंत्री बनने पर कहा कि इससे उनकी जीवन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. ये जरूर है कि लोग अब उन्हें ब्रिटेन पीएम की सास के नाम से भी जानते हैं.


उनका नजरिया भी बदला है. लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पीएम होने नाते ऋषि सुनक के पास भले ही बाउंसर ना हो, लेकिन उनके पास जरूर हैं. हालांकि सुधामूर्ति ब्रिटेन की पॉलिटिक्स पर कुछ पर भी बोलने से बचती नजर आई. उन्होंने कहा कि अपने दामाद से सिर्फ कुशलक्षेम पूछने तक ही बातचीत होने का जिक्र किया. वहीं, बच्चों को कमाने के लिए विदेश भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये परिवार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है.


उनके खुद के बच्चे बाहर पढ़े-रहे ऐसे में वो किसी और के बच्चों के लिए कैसे कह सकती हैं लेकिन बच्चों को अपने देश और यहां की संस्कृति से जोड़े रखने का प्रयास जरूर करना चाहिए. विदेश में ये सब कर पाना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि वो 45 साल से लिख रही हैं 2002 में पहली इंग्लिश की बुक आई तब से इंग्लिश में लिख रही हैं इससे पहले कन्नड़ में ही लिखा करती थी.


लेकिन किताबें लिखने का सीमा और सोच बहुत ज्यादा है। एक लेखक के तौर पर लगता है कि जेएलएफ के बड़ा प्लेटफॉर्म है। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग वक्ताओं की ओर से की गई अलग-अलग विषयों पर की गई चर्चा का भी जिक्र किया.


साथ ही कहा कि लिटरेचर स्टूडेंट्स के लिए यहां साहित्य की काफी वैरायटी है. जब उनसे लंदन में होने वाले जेएलएफ में जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब ऑरिजनल जेएलएफ यहां है, तो वो वहां क्यों जाएंगी. जहां तक पॉलिटिकल सवालों की बात है तो उसमें उनकी कोई रूचि नहीं है वो सिर्फ अपने काम को एंजॉय करती हैं.