Jaipur Crime News : हां मैं नाबालिग थी और अपनी इच्छा से घर छोडकर अपने प्रेमी के साथ चली गई थी. हमने साथ रहते हुए शादी की और अब गर्भवती हूं, निचली अदालत ने प्रेमी को पॉक्सो मामले का अपराधी मानते हुए बीस साल की सजा सुनाई है. हाईकोर्ट में अपील की सुनवाई पूरी होने में समय लगेगा. ऐसे में उसके प्रेमी पति की सजा को स्थगित किया जाए. यह कहना था पॉक्सो मामले में पीड़िता रही नाबालिग पीड़िता का. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले के अभियुक्त सोनू राज यादव की सजा को स्थगित कर दिया है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश अभियुक्त की स्टे एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए दिए.


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अदालत ने कहा है कि अपील का निस्तारण होने तक अपीलार्थी हर साल जनवरी माह में अदालत के समक्ष पेश हो. इसके अलावा यदि वे अपना पता बदलते हैं तो उसकी जानकारी निचली अदालत में पेश करें. अदालत ने कहा कि यदि अपीलार्थी अदालत के समक्ष पेश नहीं हो तो संबंधित पीठासीन अधिकारी उसकी जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश करें.


मामले के अनुसार पीड़िता के पिता ने मुहाना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पन्द्रह साल की बेटी बिना बताए कहीं चली गई है. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने करीब तीन माह बाद अपीलार्थी अभियुक्त को गिरफ्तार कर पीड़िता को बरामद किया था. पीड़िता ने निचली अदालत में बयान दिया था कि वह अपनी मर्जी से अभियुक्त के साथ गई थी. पीड़िता ने बताया था कि दोनों तीन माह तक दिल्ली में पति-पत्नी की तरह रहे और बाद में गोनेर रोड आकर रहने लगे. मामले की सुनवाई करते हुए पॉक्सो कोर्ट क्रम-1 महानगर प्रथम ने अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाते हुए कहा था कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है. इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त की ओर से हाईकोर्ट में अपील पेश की गई. वहीं साथ ही स्टे एप्लीकेशन पेश कर अपील के निर्णय तक उसकी सजा स्थगित करने की गुहार की. वकीलों के न्यायिक बहिष्कार के चलते अभियुक्त की ओर से मामले की पीड़िता ने पेश होकर पैरवी की.


Reporter- Mahesh Pareek


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