जयपुर : होली का नाम के मन में हर्ष और उल्लास छा जाता है. रंग बिरंगे सतरंगी रंग आंखों के सामने घूमने लगते हैं, अन्य पर्वों की तरह होली के पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए कई परिवार ऐसे हैं जो अपने पुरखों का कारोबार अपनाए हुए हैं, जिसके चलते उन्हें रोजी-रोटी ही नहीं पुरखों का आशीर्वाद भी मिल रहा है. और वह खुशियों के रंग होली के माध्यम से बिखेर रहे हैं. गुलाबी नगरी के गुलाल गोटे की, प्रदेश, देश ही नहीं विदेशों में भी गुलाल गोटे की मांग होली के पर्व पर बढ़ जाती है. जिससे विदेशी धरती के भारतीय होली का पर्व देश की माटी के साथ मनाते हैं. 


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गुलाबी नगरी के मनिहारों के रास्ते में आज भी कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जो गुलाल गोटे बनाते हैं. गुलाल गोटा बनाने वाले शादाब अहमद ने बताया लगभग 400 सालों से उनकी यह 9 वीं पीढ़ी गुलाल गोटे का कारोबार कर रही है. यह परंपरा राजा महाराजाओं के समय से ही चलती आ रही है जो कि आज भी कायम है. बरसों पहले राजा महाराजाओं के समय में जब कोई दूसरे देश का राजा गुलाबी नगरी आता था तो उसका गुलाल गोटे से ही स्वागत किया जाता था. उन्होंने बताया हम मुस्लिम मनिहार है लेकिन हिंदू मुस्लिम का भेद भुलाते हुए होली के पर्व को सब एक साथ मनाते हैं.


गुलाल गोटा बनाने वाली रिफाकत सुल्ताना ने बताया गुलाल गोटा बनाने में 4 ग्राम लाख का प्रयोग किया जाता है. लाख को पिघलाकर एक विशेष प्रकार की बांसुरी नुमा औजार के ऊपर रखकर मुंह से फूंक दी जाती है, जिस तरीके से गुब्बारा फूलता है, उसी तरीके से यह लाख फूलने लगता है. लाख को फूलने के बाद सेब जैसा आकार दिया जाता है ,फिर इसे ठंडे पानी में कुछ देर रखते हैं. उसके बाद पानी में से निकालकर सूखने के लिए रखा जाता है, जब पानी सूख जाता है, तो कपड़े से साफ कर उसमें 4 से 5 ग्राम गुलाल भरी जाती है. इस तरीके से एक गुलाल गोटे का वजन लगभग 8 से 9 ग्राम होता है.


गुब्बारे में भरी जाने वाली गुलाल फूल की पत्तियों से बनी होती है, जिससे सामने वाले के ऊपर गुलाल गोटा फेकने से कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, ना तो उसकी आंखों में जलन होती है, और ना ही कोई और नुकसान होता है. उन्होंने बताया गुलाल गोटा फेंकने के बाद जब वह टूटता है तो मानो ऐसा लगता है कि कोई रंगों का बडा सा फूल खिला हो. गुलाल गोटा फटते ही चारों और रंग उड़ने लगता है इससे माहौल सतरंगी हो जाता है. ऑर्गेनिक गुलाल और लाख महंगा होने की वजह से दरो में थोड़ी वृद्धि करना हमारी मजबूरी हो गई है. फिर भी त्यौहार का ध्यान रखते हुए वृद्धि में कम ही इजाफा किया गया है.


गुलाल गोटे का कारोबार करने वाले मकसूद अहमद ने बताया यह काम पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं. होली के पर्व को देखते हुए गुलाल गोटे की बिक्री में इजाफा देखने को मिल रहा है. इसी के साथ ही गुलाल गोटा खरीदने आए लोगों ने बताया हिंदू मुस्लिम का भेद भुलाकर सभी त्यौहार एक साथ बनाए जाते हैं, उन्होंने कहा वह कई वर्षों से गुलाल गोटा खरीद कर होली का पर्व मनाते हैं. परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर एक-दूसरे पर गुलाल गोटे फेंकने में उन्हें काफी मजा आता है.


भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां पर सभी पर्वों को हिंदू-मुस्लिम एकता पेश करते हुए बरसों से मनाते आ रहे हैं, जिससे एक मिसाल पेश हो रही है. गुलाल गोटा तो एक छोटा सा उदाहरण है, सभी धर्मों को आपस में सामंजस्य बनाकर सभी पर्वो को मनाना चाहिए. जिससे देश में शांति और खुशहाली रहे और होली के रंग ऐसे ही बिखरते रहे.