Jaipur News: निगम ग्रेटर में ई-फाइल सिस्टम का `बाबूओं` ने किया कचरा, पशु चिकित्सा अधिकारी सहित 15 लोगों को मिला नोटिस
Jaipur News: कम समय और पारदर्शिता के साथ सरकार और जनता का काम हो इस उदेश्य से ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरूआत तो कर दी, लेकिन जयपुर में नगर निगम ग्रेटर के कुछ अधिकारियों और कार्मिकों ने इस सिस्टम का भी कचरा कर दिया है.
Jaipur News: कम समय और पारदर्शिता के साथ सरकार और जनता का काम हो इस उदेश्य से ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरूआत तो कर दी, लेकिन जयपुर में नगर निगम ग्रेटर के कुछ अधिकारियों और कार्मिकों ने इस सिस्टम का भी कचरा कर दिया है. स्थिति ये है कि निगम के कई शाखाएं या कहे जोन ऐसे है जहां ई-फाइल का डिस्पोजल टाइम (क्लीयर करने का औसत समय) 190 घंटे से भी ज्यादा समय का आ रहा है. ये हाल तब है जब फाइल ऑनलाइन आपके सिस्टम पर दिख रही है.
नगर निगम ग्रेटर में कुछ अधिकारियों-कार्मिकों ने ई-फाइलिंग सिस्टम का कचरा-कचरा कर दिया हैं. ऑनलाइन सिस्टम पर फाइल दिखने के बावजूद एक-एक सप्ताह तक फ़ाइल नहीं निकाल रहे है. नगर निगम ग्रेटर में हाल ही में हुई एक रिव्यू बैठक में ये बात सामने आई. आमजन के काम को डिले यानी देरी से करने में सबसे आगे प्लानिंग जोन फर्स्ट के अधिकारी-कर्मचारी है. जहां आमजन को उनके आवासों या जमीन के पट्टे जारी करने से लेकर, उनके नाम ट्रांसफर समेत अन्य जरूरी काम किए जाते है.
नगर निगम मुख्यालय स्थित प्लानिंग फर्स्ट सेंक्शन के अधिकारियों-कर्मचारियों को हर एक फाइल क्लीयर करने में एक सप्ताह या उससे भी ज्यादा दिनों का समय लग रहा है. यहां फाइलों के डिस्पोजल का एवरेज टाइम सबसे ज्यादा 190 घंटे 33 मिनट का आ रहा है. जबकि पशु प्रबंधन शाखा में फाइलों के डिस्पोजल टाइम 120 घंटे, मेयर सेंक्शन से 46 घंटे में एक फाइल निकल रही हैं.
नगर निगम ग्रेटर में टॉप सीट पर बैठे अफसर फाइलों को कुछ मिनट और घंटो में ही डिस्पोजल कर रहे हैं. नगर निगम ग्रेटर कमिश्नर रूक्मणि रियाड़ के यहां औसत डिस्पोजल टाइम साढ़े 4 घंटे, एडिशनल कमिश्नर सीमा कुमार और उनके स्टाफ के यहां हर फाइल औसतन 22 मिनट में क्लीयर हो रही है. वहीं डिप्टी कमिश्नर मुख्यालय का औसत टाइम पौने 5 घंटे, जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन सेंक्शन का 1 घंटे और अधिशाषी अभियंता प्रोजेक्ट फर्स्ट के यहां डिस्पोजल टाइम 1.30 घंटे का आ रहा है.
इधर सबसे कम समय में फाइल निकालने वाले अधिकारियों की सूची में पहले नंबर पर उपायुक्त हैडक्वार्टर जनार्दन शर्मा और एनयूएलएम उपायुक्त संतलाल मक्कड़ है, जिनके यहां औसत डिस्पोजल टाइम 15 मिनट का आ रहा है. आयुक्त रूक्मणि रियाड़ का कहना हैं की सीनियर्स ऑफिसर्स समय पर फाइलें डिस्पोजल कर रहे हैं.
पहली बार हुआ है निगम के सभी जोन में ई-फाइलिंग से काम हो रहा है. नगर निगम ग्रेटर में 17 हजार 728 ई-फाइलें हैं. यदि एवरेज फाइल डिस्पोजल की बात करें तो 33 घंटे 38 मिनट आ रहा है, जबकि ग्लोबल डिस्पोजल टाइम 34 घंटे आ रहा है. हाल ही में रिव्यू में देखा गया हैं की 15 अधिकारी और कार्मिक ऐसे हैं, जिनका फाइल डिस्पोजल टाइम 169 घंटे से लेकर 727 घंटे तक आ रहा है, जिन्हें नोटिस दिया गया हैं.
जबाव से संतुष्ट नहीं होते है तो उन्हें सेक्शन से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाएगा. वहीं पशु प्रबंधन शाखा में पशु चिकित्सा अधिकारी हरेन्द्र सिंह चिराणा का भी हर फाइल को क्लीयर करने में 73 घंटे से ज्यादा समय लग रहा है. इसलिए उन्हें भी नोटिस दिया गया हैं.
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