Jaipur News:अपने आसपास देखेंगे तो पाएंगे कि कई लोग ऐसे हैं जो सुनने की समस्या से ग्रसित है या कई लोगों में जन्म से ही ये समस्या होती है. वह सुनने की समस्या के चलते परेशान तो होते ही हैं लेकिन कई बार सामाजिक रूप से भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. समय के साथ साथ इस बीमारी का इलाज हो रहा है, लेकिन जन्म से ही बीमारी का पता चल जाए तो समय पर ही इस समस्या को दूर कर आम बच्चे के जैसे वह जीवन जी सकता है. 


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आज 3 मार्च है और इसे पूरे विश्व में वर्ल्ड हियरिंग डे यानि विश्व श्रवण दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज जरूरत है इस बीमारी को मिटाने के लिए अवेयरनेस की. आप भी अपने आसपास के लोगों को जागरूक कर इसे मिटाने में मदद कर सकते हैं. इसके इलाज के लिए सरकार की ओर से फ्री में कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी जैसी सुविधाएं दी जा रही है. जिसके चलते कई बच्चे आसानी से आम बच्चों की तरह सुन पा रहे हैं. 


जयपुरिया अस्पताल में कॉक्लियर इंम्लांट सर्जरी को लेकर जागरूकता के कैंप लगाने के साथ ही अस्पताल में सर्जरी भी की जा रही है. अस्पताल में अब तक डॉ राघव मेहता की ओर से 200 बच्चों में ये सर्जरी की जा चुकी है. जिससे उनके जीवन स्तर में बदलाव आया है. इसके साथ ही परिवारजनों की भी एक समस्या दूर हो रही है.




- 3 मार्च, विश्व श्रवण दिवस


- 2024 का विषय- "मानसिकता बदलें: आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं.


- 1000 लोगों में से करीब 7-8 लोगों को सुनने की समस्या होती


- सरकारी अस्पतालों में की जा रही कॉक्लियर इंम्लांट सर्जरी


- सरकारी अस्पतालों में निशुल्क की जा रही सर्जरी


- ऐसे सर्जरी पर आता है 8 से 10 लाख रूपए का खर्च


- इसके साथ ही स्पीच थैरेपी भी सरकार करवा रही निशुल्क


- अभी एसएमएस अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा में ही कॉक्लियर इंम्लांट सर्जरी की सुविधा


- जयपुरिया अस्पताल में अब तक 200 बच्चों को कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी की जा चुकी


- एक सर्जरी में लगत करीब 2 घंटे


- अवेयरनेस की कमीं के चलते मरीजों की संख्या रहती कम


 



कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी बन रही कारगर


श्रवण बधिरता की समस्या जन्म के साथ भी हो सकती है और बाद में भी हो सकती है. जन्म के साथ होने वाली हियरिंग लोस प्रोब्लम्स के लिए कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी बहुत कारगर साबित हो रही है. जयपुरिया अस्पताल में ईएनटी हेड डॉ राघव मेहता ने बताया कि 4 साल तक के बच्चों के लिए ये सबसे बेस्ट सर्जरी है. इसे 3 महीने से लेकर 4 साल तक की उम्र में किया जा सकता है. 


बाद में भी ये सर्जरी की जा सकती है, लेकिन बेस्ट रिजल्टस इस उम्र के साथ ही मिल सकते हैं. अभी तक अस्पताल में 200 बच्चों को ये सर्जरी की जा चुकी है. ये सरकार की ओर से बिल्कुल फ्री है. अभी लोग जागरूक कम हो रहे हैं. जागरूकता से हियरिंग लोस लोगों की संख्या में कमीं लाई जा सकती है. जिससे वह भी आम व्यक्ति की तरह काम कर सकते हैं.


मेंडेटरी हो हियरिंग लोस टेस्ट


डॉ राघव मेहता ने कहा कि जन्म के साथ ही हियरिंग लोस टेस्ट OAE, BERA मेंडेटरी कर दिया जाना चाहिए. जयपुरिया अस्पताल में तो बिना टेस्ट किए किसी को डिस्चार्ज नहीं किया जाता. लेकिन अन्य अस्पतालों में अभी इसे फॉलो नहीं किया जा रहा. जिला अस्पतालों में जहां डिलीवरी हो रही है वहां ये टेस्ट अनिवार्य कर देना चाहिए. जिससे जन्म के साथ ही बच्चे में सुनने की समस्या का पता चल सके और इलाज किया जा सके.


इलाज और स्पीच थैरेपी निशुल्क
डॉ मेहता ने बताया कि सरकार की ओर से अस्पतालों में ये इलाज फ्री है. अभी ये एसएमएस अस्पताल, जयपुरिया, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा अस्पताल में ही किया जा रहा है. इसके साथ ही जिलों से बच्चों की स्क्रीनिंग कर यहां लाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सर्जरी के माध्यम से आवाज तो आ सकती है, लेकिन उन्हें समझाने के लिए 2 साल स्पीच थैरेपी की क्लास भी ली जाती है. जो सरकार की ओर से निशुल्क है.


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