Bagru, Jaipur: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर उनके मंत्री और विधायक प्रदेश में नई सड़कों का निर्माण और पुरानी क्षतिग्रस्त सड़कों का सुदृढ़ीकरण कर आमजन के आवागमन को सुगम बनाने की बड़ी मंशा रखते हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री ने बजट घोषणाओं में सड़कों की हालत सुधारने के लिए बड़ी धन राशि खर्च करने का भी प्रावधान रखा है, लेकिन सरकार के ही नुमाइंदे सरकार की मंशा ओर दावों पर पानी फेरने पर तुले हुए हैं.


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करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी राजधानी के उपनगरीय इलाकों में कई महत्वपूर्ण सड़के आज भी राहगीरों की राहों का रोड़ा बनी हुई हैं. क्षतिग्रस्त सड़कें जहां वाहन चालकों के लिए परेशानियों का सबब बनी हुई है. वहीं आए दिन राहगीर और दोपहिया वाहन चालक हादसों का शिकार हो रहे है. करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जनता को राहत नही मिली है. राजधानी जयपुर के बगरू रीको औधोगिक क्षेत्र से स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) वाया पालड़ी गांव तक जाने वाली सड़क के हालात भी कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे है.


बगरू कस्बे सहित आसपास की दर्जनभर ग्राम पंचायतों के बाशिंदों के लिए यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण है, यहां के लोगों के लिए सांगानेर स्थित तहसील कार्यालय, उपखंड कार्यालय और पंचायत समिति कार्यालय जाने का यह सबसे सीधा और सरल रास्ता है. रोजमर्रा के प्रशासनिक कार्यों को निपटाने के लिए रोजाना हजारों ग्रामीणों को सांगानेर आना जाना पड़ता है. वहीं रोजी रोटी कमाने के लिए हजारों लोग इसी सड़क मार्ग से होते हुए गुजरते हैं.


सांगानेर या सेज क्षेत्र में जाने वाले लोगों के पास दो ही विकल्प है या तो इस खस्ताहाल सड़क से हिचकोले खाते हुए गुजरे या फिर 15 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाते हुए नेशनल हाईवे पर टोल टैक्स चुकाते हुए सांगानेर पहुंचे. कुल मिलाकर रोजाना हजारों ग्रामीणों के आवागमन वाली यह सड़क आमजन के लिए सिर दर्द बनी हुई है.


स्थानीय लोगों के लिए तो यह सड़क महत्वपूर्ण है ही साथ ही औधोगिक और व्यवसायिक दृष्टि से भी इस सड़क का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है, सांगानेर एयरपोर्ट से रीको औधोगिक क्षेत्र में आने वाले देशी विदेशी उद्यमियों और व्यापारियों को भी हिचकोले खाते हुए इसी मार्ग से होकर आना जाना पड़ता है, जिससे उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


प्रदेश के कई जिलों के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से कच्छा माल लेकर और रीको औधोगिक क्षेत्र से तैयार उत्पाद लेकर दिनभर में सैकड़ों वाहनों को भी इसी सड़क मार्ग से गुजरना होता है. सड़क की मरम्मत नहीं होने से काफी दिक्कतों को समाना करना पड़ रहा है, साथ प्रदेश की साख भी खराब हो रही है.


प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण सड़क मार्ग होने के बावजूद जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का इस सड़क को सुगम बनाने पर कोई विशेष ध्यान नहीं है. पिछले साल बगरू विधायक को अनुशंसा पर 1 करोड़ 37 लाख रुपए की लागत से सड़क का सुदृढ़ीकरण करने का कार्य शुरू भी किया गया था, जिसकी कार्य पूर्ण करने की अवधि भी समाप्त हो चुकी है. 


लेकिन इतनी बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी जनता की राहें आसान नहीं हो सकी, हालांकि सड़क सुदृढ़ीकरण के कार्य का शुभारंभ करते समय विधायक गंगादेवी ने मौके पर मौजूद जेडीए अधिकारियों को काम कोई कौताही नही बरतने के दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन शायद अधिकारियों ओर ठेकेदार के इन दिशा निर्देशों को महज राजनैतिक भाषण मानकर घटिया काम किया, जिसका नतीजा यह है कि आज भी सड़क बदहाल है.


सड़क के हालात देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि इस काम में ठेकेदार और जेडीए अधिकारियों की ओर से घोर अनियमितताएं बरती गई, देवलिया सरपंच प्रतिनिधि कमल चौधरी ने इस संदर्भ के कई बार जेडीए अधिकारियों ओर विधायक गंगादेवी को अवगत करवाया है लेकिन अभी तक कही कोई सुधार नहीं हुआ है.


पूरे मामले के लेकर जब बगरू विधायक गंगादेवी से सवाल किया गया तो पहले तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से ही मना कर दिया लेकिन जब विषय की गंभीरता बताई गई और सड़क के हालातों और आमजन की परेशानियों से अवगत करवाया गया तो कुछ बोलने को तैयार हुए और जेडीए अधिकारियों का बचाव करती हुए सड़क के क्षतिग्रस्त होने का दोष भारी वाहनों के सिर पर मढ़ दिया.


उन्होंने कहा कि सड़क की दो बार मरम्मत करवाई गई और तीसरी बार फिर से बजट स्वीकृत करवाया गया है, ओर कोई कमी रही है तो उसे ठीक करवा दिया जायेगा, सड़क निर्माण में जेडीए अधिकारियों ओर ठेकेदार की ओर से बरती गई अनियमितताओं के बारे के एक शब्द भी नहीं कहा.


जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की जनता की सुहलियत के लिए सड़कों के निर्माण और सुदृढ़ीकरण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे है तो फिर आखिर उन्ही को नौकरशाही उनके अच्छे मसूबों पर पानी फेरने पर क्यों तुली हुई है, एक सड़क की मरम्मत के लिए पिछले साढ़े चार साल में तीसरी बार धनराशि स्वीकृत की जा रही है.


पिछले दो बार में करोड़ों रुपए खर्च कर जिम्मेदार प्रशासन जनता की राहें सुगम नहीं कर सके, अब देखने वाली बात यह है कि अगली बार जेडीए के अधिकारियों ओर ठेकेदार क्या गुल खिलाते है.आखिर विधायक गंगादेवी की क्या मजबूरी है कि उनकी नाक के नीचे इतनी बड़ी लीपा पोती की गई लेकिन वे कोई ठोस कदम उठाने के मूड में नहीं है.


Reporter- Amit Yadav


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