Rajasthan News: राजस्थान में त्यौहारी सीजन में यूं तो फूड सेफ्टी विभाग मिलावटखोरो के खिलाफ अभियान चला कर लगातार कार्रवाई कर रहा है. इस बार फूड सेफ्टी विभाग को खूब वाह-वाही मिल रही है. फूड सेफ्टी विभाग के अतिरिक्त कमिश्नर पंकज ओझा वाकई में कार्रवाई को लेकर मुस्तैद हैं, लेकिन राजधानी जयपुर से महज 40 किलोमीटर दूर मावा मंडी पर किसी की नजर नहीं है. चौमूं इलाके के सामोद मोरिजा, अनंतपुरा, चीथवाड़ी गांव मावा मंडी से कम नहीं है. 


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प्रदेश के कई जिलों में यहां से मावे की सप्लाई होती है, लेकिन यहां मिलावटी मावा बनाने वालों की संख्या ज्यादा है और यह हम नहीं कह रहे. यह पुलिस और फूड सेफ्टी विभाग की कार्रवाई में बताती है. पिछले 5 सालों की बात की जाए, तो पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग ने मिलकर दर्जनों कार्रवाई को अंजाम दिया. जहां नकली दूध, पनीर, मावा, घी बड़ी मात्रा में पकड़ा गया. लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने के चलते कारोबार फल-फूल रहा है. 


 



चौमूं इलाके की बात की जाए, तो यहां इर्द-गिर्द के गांव में 50 से ज्यादा मावे की भठ्ठियों का संचालन होता है. मावा कारोबारी इन भठ्ठियों को रात को शुरू करते हैं और सुबह 7:00 बजे तक चलाते हैं. मावा की डिलिवरी करने के बाद दुकानदार कर्मचारी दिनभर सोते हैं. ज़ी मीडिया की टीम ने चौमूं इलाके में मिल रहे इस सस्ते मावे का स्टिंग ऑपरेशन किया, तो हम भी चौक गए. 


 



एक बड़ा सवाल ये उठा कि जब बाजार में दूध का भाव 70 रुपये किलो है, तो फिर मावा 240 रुपये में कैसे मिल सकता है. 1 किलो स्टैंडर्ड दूध में ढाई सौ ग्राम मावा निकल सकता है. ऐसे में 280 रुपये के चार किलो दूध में एक किलो मावा निकाला जा सकता है. जिसकी लागत 280 रुपये आती है. हमने अलग-अलग दो दुकानों पर जाकर इस मावे की पड़ताल की, तो परते खुलकर सामने आ गई. 


 



एक दुकानदार 200 रुपये किलो में मावा देने को तैयार हो गया. कहा कि लेकिन डिलीवरी खुद को लेनी पड़ेगी. एक दुकानदार ने झुंझलाकर कहा कि 280 रुपये से कम में मैं मावा किसी कीमत पर नहीं दे सकता. क्योंकि मेरा मावा चौमूं की फेमस बर्फी की दुकान तक जाता है.


 



इस साल में एक बार भी फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने कार्रवाई करने की जरूरत नहीं उठाई, जबकि पूरी मावे की मंडी इस इलाके में चलती है छोटी-मोटी कार्रवाई कर फूड सेफ्टी विभाग वह वही लूट रहा है जरूर इस बात की है कि अगर लोग इस तरह से मिलावट का मावा खाएंगे, तो सोचिए उनके स्वास्थ्य के साथ क्या होगा. चीथवाड़ी इलाके में पिछले चार-पांच सालों में कई बार नकली दूध, पनीर, मावा, पकड़ा गया है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण से मावा कारोबारी ने फिर से कारोबार शुरू कर देते हैं.