नए साल पर मिल सकती है जयपुर को नई सौगात, यदि फाइल अप्रूवल हुई तो दौडे़ंगी इलेक्ट्रिक बसें, बढ़ेगी ग्रीन मोबिलिटी
Jaipur News: आने वाला नया साल यानी 2023 नई खुशखबरी दे सकता है, जयपुर वालों को, क्योंकि जल्द इलेक्ट्रिक बसें पिंकसिटी की सड़कों पर दौड़ने वाली हैं, बस देरी है तो फाइल अप्रूवल होने की. 2025 तक 1 हजार इलेक्ट्रिक बस चलाने की तैयारी है, जेसीटीएसएल बोर्ड ने इलेक्ट्रिक बसों का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है.
Jaipur News: जयपुर के लिए खुशखबरी है, शहरी ट्रांसपोर्ट के जरिए जयपुराइट्स के सफर को सुगम-सरल बनाने के लिए जल्द ही इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर दौड़ती नजर आएंगी. यदि सबकुछ ठीक रहा तो शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चल रही फ्लोर बसों के साथ ही अब जल्द इलेक्ट्रिस बसें भी सड़कों पर नजर आएंगी. जेसीटीएसएल बोर्ड से प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवा दिया हैं. सरकार की मुहर लगने के साथ अगले साल तक इलेक्ट्रिक बसों से लोग सफर करते हुए नजर आएंगे.
अब वह दिन दूर नहीं, जब जयपुर की सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होगा. धुंआ फेंकती और हांफती बसों से अगले साल आमजन को छुटकारा मिल सकता है. जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल) ने इलेक्ट्रिक बसे चलाने की तैयारी कर ली है. पहले फेज में जयपुर में अगले साल कुल 100 बसें लीज पर लेकर चलाई जाएगी और साल के अंत तक इसे 300 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
पिछले दिनों जेसीटीएसएल बोर्ड की हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया और इसका प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भिजवाया है. बोर्ड ने भविष्य की जनसंख्या और उसके अनुरूप जरूरतों को देखते हुए 1000 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन साल 2025 तक करने पर विचार किया है.
कंपनी के सीएमडी अजिताभ शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार की स्कीम के तहत हम बसें लीज पर कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL)से लेने की तैयारी कर रहे है. इस पहल से मौजूदा परिवहन व्यवस्था को स्वच्छ ईंधन में परिवर्तित करने का रास्ता साफ हो जाएगा.
शर्मा ने बताया की वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौतियों के बीच सार्वजनिक परिवहन को परंपरागत ईंधन के बजाय इलेक्ट्रिक परिचालन केंद्रित बनाया जाना जरूरी है.
बोहवा की स्थिति भी पिछले एक दशक के दौरान काफी खराब हुई है. अभी जेसीटीएसएल की डीजल बसों से निकलने वाला काला धुआं हवा को बहुत ज्यादा खराब करता है. प्रदूषण का स्तर इससे बढ़ता है.
साथ ही बसों के इंजन चलने के बाद काफी शोर होता है इससे शोर प्रदूषण भी खूब होता है. लेकिन इलेक्ट्रिक बस से यह दोनों ही नहीं होते. इन बसों से न तो धुआं निकलता है और शोर तो होता ही नहीं है. बस कब पास से निकल जाए पता ही नहीं चलता. हालांकि टायरों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण का कारण जरूर बनती है.
जेसीटीएसएल एमडी अजिताभ शर्मा ने बताया की ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के मकसद से इस ओर कदम बढाया जा रहा हैं. वर्तमान में हम अभी एक-दो प्राइवेट कंपनियों से मिडी बसें और लो-फ्लोर बसों का संचालन लीज पर करवा रहे हैं, इन बसों के लिए डीजल जेसीटीएसएल देती है, जबकि बसों में ड्राइवर और बसों का मेंटेनेंस का खर्च कंपनी करती हैं. इसके पेटे कंपनी को जेसीटीएसएल नॉन एसी 12 और एसी बसों के 17 रुपए किलोमीटर के हिसाब से पैसा देती हैं.
नौ मीटर की बस 31 सीटर हैं और 12 मीटर की बस 41 सीटर हैं. जानकारी के अनुसार नौ मीटर की इलेक्ट्रिक बसों का 70 रूपए प्रतिकिलोमीटर के हिसाब से भुगतान करना होगा. वहीं, 12 मीटर बसों का 73 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान करना होगा. उन्होने बताया की जेसीटीएसएल की ओर से वर्तमान में जयपुर में 300 बसें चलाई जा रही है.
इसमें से 100 बसों की लाइफ अगले साल मार्च में पूरी हो जाएगी यानी वह कंडम हो जाएगी. कंपनी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज इन बसों के बदले दूसरी बसें रिप्लेस करना है. क्योंकि जयपुर शहर की 41 लाख की आबादी की जरूरत के हिसाब से अभी केवल 12 फीसदी ही बसें संचालित की जा रही है. उसमें से भी अगर अगले साल मार्च में 100 बसें कम हो जाती है तो यह घटकर 8 फीसदी ही रह जाएगी.
बहरहाल, इलेक्ट्रिक बसों की सुविधा मिलने से शहर के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सेवाएं बेहतर होंगी. इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से शहर के प्रदूषण में भी कमी आएगी. सिटी बसों की सुविधा बेहतर होने से लोग निजी वाहन छोड़कर इलेक्ट्रिक बसों से सफर करने को प्राथमिकता देंगे. इससे सड़क पर वाहनों की संख्या कम होने से जाम से भी राहत मिलेगी.
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