Rajasthan News: प्रधानमंत्री कुसुम योजना (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) को 2019 में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना, कृषि के लिए सिंचाई लागत कम करना और सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना था, लेकिन कुछ किसानों का आरोप है कि इस योजना का लाभ सही तरीके से उन्हें नहीं मिल रहा है. बल्कि इसमें व्यावसायिक कंपनियों और डेवलपर्स का ही फायदा हो रहा है. 


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इस योजना का मुख्य उद्देश्य


1. किसानों को सौर ऊर्जा पंप प्रदान करना
2. किसानों की ऊर्जा लागत कम करना
3. किसानों की आय में वृद्धि करना
4. स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना
5. किसानों को ऊर्जा स्वतंत्र बनाना



इस योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा पंप खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है. किसानों को अपने खेतों में सौर ऊर्जा पंप स्थापित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है. किसानों को सौर ऊर्जा पंप के रखरखाव और मरम्मत के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.



जब किसानों से जुड़ी योजना फिर क्यों किसानों को दर- दर भटकना पड़ रहा. पहले जोधपुर के किसानों ने अपने उपखंड अधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर कुसुम योजना घटक सी में जांच करवाने की मांग की, जिसमें जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अक्टूबर 2023 में आवेदन मांगे गए थे, जिसमें बिना भूमि के कंपनी ने आवेदन भरा और वो टेंडर किसानों की जगह उन्हे दे दिया गया, जिनके पास भूमि ही नहीं उन्हे टेंडर मिला वो भी सब्सिडी के साथ किसानों का कहना है कि योजना के तहत उन्होंने सोलर पैनल स्थापित करने के लिए आवेदन किए, लेकिन उन्हें सब्सिडी या लाभ नहीं मिला. किसानों का आरोप है कि सोलर कंपनियां और डेवलपर्स मिलकर स्कीम का पूरा फायदा उठा रहे है. कंपनी खुद ही सोलर लगाती है और खुद ही पूरा फायदा भी ले रही है. इससे किसान और नीचे जा रहा है और कंपनियां लगातार खुद को मजबूत कर रही है. 



पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप दिए जाने थे, जिससे वे सिंचाई के लिए बिजली की लागत बचा सकें, किसानों को अपनी जरूरत से अधिक उत्पादित सौर ऊर्जा, बिजली कंपनियों को बेचने का अवसर दिया गया था, जिससे उनकी आय बढ़ सके. किसानों का आरोप है कि सोलर पैनल लगाने का काम करने वाली कंपनियों ने किसानों से लोन लेने के दस्तावेज तो पूरे कराए, लेकिन लाभ नहीं मिला. क्योंकि उनके आवेदन स्वीकार ही नहीं किए गए. क्योंकि सोलर प्रोजेक्ट के लिए निकले टेंडर में मिलीभगत से कंपनियों ने खुद ही फायदा उठा लिया. जोधपुर में कुल 1400 सोलर प्लांट लगाए गए, जिसमें से ज्यादातर प्लांट कंपनियों के है. अब किसान ने जयपुर पहुंचकर ACS आलोक से मुलाकात की और समस्या से अवगत करवाया. ऐसे में सवाल है कि क्या किसानों के हक में न्याय हो पाएगा? क्या सरकारी स्कीम का जमीन पर असर होगा या किसानों को ऐसे ही अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतरना होगा.



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