Jaipur News: प्रदेश में एक बार फिर मंत्रिपरिषद विस्तार की सुगबुगाहट हो रही है. दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी सभी तैयारियां मुकम्मल कर लेना चाहती है. इन तैयारियों की कड़ी में सोशल इंजीनियरिंग को साधते हुए मंत्री परिषद विस्तार भी शामिल है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की है और उसके बाद तो विस्तार की चर्चाओं को और बल मिला है.


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प्रदेश में तकरीबन तीन महीने पहले ही सत्ता में आई भजनलाल सरकार आगामी लोकसभा चुनावों से ठीक पहले मंत्रिपरिषद का विस्तार कर सकती है. मौजूदा मंत्रिपरिषद में सीएम भजनलाल और दो उप-मुख्यमंत्रियों के साथ ही कुल 15 कैबिनेट मंत्री हैं, जिसके साथ ही चार स्वतंत्र प्रभार और 5 राज्य मंत्री भी सरकार में हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो मंत्रिपरिषद में अभी भी छह मंत्रियों की जगह खाली है.


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लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी राजस्थान में कुछ समीकरण और साधना चाहती है. सोशल इन्जीनियरिंग के लिहाज से पार्टी सभी समीकरण देखते हुए दो से तीन नये चेहरे जोड़ सकती है. चर्चा इस बात की है कि मंत्रिपरिषद विस्तार में तीन नए चेहरे और शामिल हो सकते हैं. इसके साथ ही मंजू बाघमर को स्वतन्त्र प्रभार या कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोट करने की भी चर्चा है. एक अन्य राज्य मंत्री के भी प्रमोशन की चर्चा है लेकिन उसके विकल्प के रूप में मौजूदा राज्य मंत्री के संभाग से ही एक अन्य चेहरे को शामिल करने की बात भी आ रही है.


योगी बाबा बालकनाथ सबसे प्रबल दावेदार
भजनलाल सरकार के दूसरे विस्तार में शामिल होने वाले संभावितों में सबसे प्रबल दावेदार तिजारा से विधायक योगी बाबा बालकनाथ हैं हालांकि चुनाव से पहले ही बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें मंत्रिपरिषद में भी शामिल नहीं किया गया. अब सरकार में एक भी यादव चेहरा नहीं है. हालांकि पार्टी के टिकट पर बहरोड़ से जसवंत यादव भी जीते हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद के लिए बाबा बालकनाथ को ज्यादा मजबूत माना जा रहा है. इस बीच चर्चा यह भी आई कि अब बाबा ने पार्टी के कुछ लोगों को मंत्री नहीं बनने की इच्छा जताई है. हालांकि बाबा बालकनाथ ने खुद इस बात की पुष्टि नहीं की है.


श्रीचन्द कृपलानी का नाम भी दौड़ में
इसके साथ ही श्रीचन्द कृपलानी को भी सरकार में शामिल करने की संभावना जताई जा रही है. वसुंधरा राजे के नज़दीकी सिपहसालारों में शामिल कृपलानी पहले भी राजे की दूसरी सरकार में यूडीएच मंत्री रह चुके हैं.


आरएलडी को भी मिल सकती है सरकार में जगह
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी ने आएलडी से गठबंधन कर लिया है. इस नाते संभावना इस बात की भी है. मंत्रिपरिषद में एक पद आरएलडी के खाते में भी जा सकता है. पिछली बार आरएलडी का गठबंधन कांग्रेस के साथ था तो भरतपुर से सुभाष गर्ग को अशोक गहलोत सरकार में मंत्री बनाया था. ऐसे में एक संभावना यह भी है कि पिछली गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके सुभाष गर्ग को बीजेपी सरकार में भी शामिल कर लिया जाए. हालांकि बीजेपी के लोगों का कहना है कि उनकी पार्टी इस तरह के प्रयोग कम करती है.


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गंगानगर से फिर एक सिख चेहरा
इसके साथ ही गंगानगर-हनुमानगढ़ संसदीय क्षेत्र भी बीजेपी को साधना है.लिहाजा श्रीगंगानगर की सादुलशहर सीट से गुरवीर सिंह बराड़ को भी मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है. हालांकि इससे पहले बीजेपी ने गंगानगर की श्रीकरणपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को उपचुनाव से पहले ही मंत्री बना दिया था. लेकिन चुनाव हारने के बाद टीटी ने इस्तीफा दे दिया. अब संभावना यह है कि टीटी की जगह सिख चेहरे के रूप में सादुलशहर के गुरुवीर सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए. विधानसभा चुनावों में पश्चिमी राजस्थान खास तौर पर गंगानगर , हनुमानगढ़, सीकर, में बीजेपी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में अब मंत्रिमंडल विस्तार में इन क्षेत्र को प्रतिनिधत्व देने के लिए बीजेपी को किसी नए चेहरे को शामिल करना होगा. उधर सुरेन्द्रपाल टीटी के कुछ समर्थक यह भी कहते हैं कि गुरवीर बराड़ के साथियों ने चुनाव में टीटी को हराने के लिए काम किया था. इन लोगों का कहना है कि बराड़ कैम्प के लोग यही दावा करते थे कि उनका नेता तो मंत्री तभी बनेगा, जब टीटी हारेगा हालांकि पार्टी नेतृत्व के पास इस तरह की चर्चाओं के दस्तावेजी सबूत भेजे जाने की चर्चा है लेकिन यह पार्टी को देखना है कि वह सबूतों पर ज्यादा ध्यान देगी या लोकसभा चुनाव साधने पर.


भरतपुर संभाग से 2 मंत्री अभी सरकार में 
मंत्रिमंडल में एक चेहरा भरतपुर संभाग से लेने के आसार बन रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह ज़िला भरतपुर ही है लेकिन वे सांगानेर क्षेत्र से निर्वाचित होकर सदन में पहुंचे हैं. इसके साथ ही भरतपुर संभाग से 2 मंत्री अभी सरकार में हैं. इनमें सवाई माधोपुर से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा व नगर से जवाहर सिंह बेढ़म सरकार में मंत्री हैं.


इस बार के विधानसभा चुनाव में धौलपुर से भी बीजेपी बहुत प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं कर पाई. साथ ही करौली में भी पार्टी को दो ही सीट मिली है. ऐसे में इस संसदीय क्षेत्र को साधने के लिहाज से भी संभावनाओं पर मंथन किया गया है.