JJM में सवालों के घेरे में 1345 करोड़ `बजट`, उदयपुर में भारी गड़बड़ी, फिर भी 105 करोड़ फंड जारी
Jaipur News: मरुधरा में जल जीवन मिशन में 1345 करोड़ बजट सवालों के घेरे में है क्योंकि एक तरफ तो पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के गड़बड़ी की जांच चल रही, वहीं दूसरी तरफ जलदाय विभाग ने डिवीजनों को बजट बांट दिया. ऐसे में पूरी बजट प्रक्रिया सवालों के घेरे में घिर गई है.
Jaipur News: राजस्थान के जल जीवन मिशन में 1345 करोड़ बजट सवालों के घेरे में है क्योंकि एक तरफ तो पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के गड़बड़ी की जांच चल रही, वहीं दूसरी तरफ जलदाय विभाग ने डिवीजनों को बजट बांट दिया. ऐसे में पूरी बजट प्रक्रिया सवालों के घेरे में घिर गई है.
उदयपुर को सबसे ज्यादा 105 करोड़ फंड
प्रदेश का जल जीवन मिशन विवादों का मिशन बन गया है क्योंकि फर्मों पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के बावजूद पीएचईडी ने जेजेएम के तहत 1345 करोड़ बजट बांट दिया. जल जीवन मिशन एमडी बचनेश कुमार अग्रवाल और चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट संदीप शर्मा दो महीने पहले उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर में डेढ़ महीने पहले गड़बड़ी पकड़ी, इसके बाद कमेटी की जांच भी शुरू हो गई लेकिन इसके बावजूद उसी उदयपुर डिवीजन को सबसे ज्यादा 105 करोड़ फंड दे दिया. जबकि जल जीवन मिशन में पाइपलाइन डालने, टंकियां में कम लोहे-घटिया कंक्रीट का फर्जीवाड़ा और फोटोकॉपी बिलों पर ही करोड़ों रुपये का पेमेंट होने के गंभीर मामले मिले थे.
बिना टेस्टिंग रिपोर्ट के फंड जारी
जेजेएम में घटिया क्वालिटी के पाइप लाइन की टेस्टिंग रिपोर्ट पेंडिंग है. विजिलेंस विंग और क्वालिटी कंट्रोल विंग की फाइनल जांच रिपोर्ट आनी बाकी है. वहीं टीपीआईए की आपत्तियों के बावजूद कई सिफारिशी डिवीजनों को बजट और फंड आवंटित कर दिया. जबकि जिन डिविजनों में बजट नहीं होने से काम की गति धीमी है,वहां फंड रिलीज नहीं किया.इससे फंड और बजट वितरण की पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई है.
इन फर्मों की सघन जांच
बांसवाड़ा के अरथूना सब डिवीजन में मैसर्स GA इंफ्रा के कार्यों, उदयपुर के मावली सब डिवीजन में मै. बी एंड जी कंस्ट्रक्शन जोधपुर,कोटडा ब्लॉक में मै.मनोज बागडी के भुगतान, रनिंग बिलों भारी अनियमित्ताएं मिली है.इसकी जांच जारी है.जेजेएम के प्रोजेक्ट और स्कीम में फंड, बजट का आवंटन के लिए ब्यूरोक्रेसी, बड़े नेताओं के स्तर पर सिफारिश करवाने का प्रचलन है. हर ठेकेदार और इंजीनियर अपने खंड में ज्यादा फंड का दबाव लगवाते हैं. पेमेंट भी ठेकेदार की जरूरत के हिसाब से जनरल, एसटी, एससी मद में किया जाता है. सैकड़ों शिकायतों के बाद भी फंड वितरण की जांच नहीं हुई है.ऐसे में पूरी बजट प्रक्रिया सवालों के घेरे में घिर गई है.