Jaipur: प्रदेश के पंचायतीराज संस्थाओं और नगरीय निकायों में सदस्यों के रिक्त पदों पर 7 मई को उपचुनाव होंगे. इसमें 4 जिलों में जिला परिषद सदस्यों और 13 जिलों में 24 पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव होंगे. नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब चार जिला परिषद सदस्यों के लिए दस प्रत्याशी तथा 24 पंचायत समितियों में एक में बहिष्कार, 7 में निर्विरोध निर्वाचन होने से 16 पंचायत समिति सीटों के लिए 41 उम्मीदवार मैदान में है.


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राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 25 अप्रैल थी तथा नाम वापस लेने की तारीख 27 अप्रैल थी. इसमें 4 जिला परिषद सदस्यों के लिए 18 प्रत्याशियों ने आवेदन किए, 1 नामांकन वापस ले लिया, जबकि 7 नामांकन निरस्त हो गए. 


अब चार जिला परिषद सदस्यों के लिए दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में है. इसी तरह 24 पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में बैजूपाडा में किसी ने आवेदन नहीं किया. जिससे 23 सीटों के लिए 78 अभ्यर्थियों ने 82 नामांकन मिले, जिनमें 11 नामांकन वापस लिए गए तथा 19 नामांकन निरस्त किए गए. वहीं 7 पंचायत समिति सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन हुआ. ऐसे में कुल मिलाकर अब 16 पंचायत सदस्यों के लिए 41 उम्मीदवार भाग्य अजमाएंगे.


बैजूपाड़ा में फिर चुनाव बहिष्कार


आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि दौसा के बैजूपाड़ा में ग्रामीणों की ओर से चुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है. बताया जा रहा है ग्रामीण परिसीमन गलत होने के आरोप के बाद वर्ष 2020 से लगातार मुख्य चुनाव से उपचुनाव तक का बहिष्कार कर रहे हैं. ग्रामीणों की ओर से अब फिर उपचुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है. अधिकारियों ने ग्रामीणों से समझाइश की लेकिन वाले अड़े हुए हैं. बैजूपाड़ा में तीसरी बार चुनावों का बहिष्कार किया गया है.


यहां निर्विरोध चुने गए पंचायत समिति सदस्य


गुप्ता ने बताया कि बाडमेर की पंचायत समिति पायलाकलां, आडेल, भरतपुर जिले की बयाना भुसावर, जैसलमेर की नाचना, करौली की करौली तथा सीकर की नेछवा पंचायत समिति में सदस्य निर्विरोध चुने गए. अब अलवर जिले की गोविंदगढ़ तथा बांसवाडा की छोटी सरवन में चार चार उम्मीदवार मैदान में है.


हर छह महीने में होंगे उपचुनाव


मधुकर गुप्ता ने कहा कि हर छह महीने में रिक्त सीटों की गणना की जाएगी और इसके बाद उपचुनाव कराए जाएंगे. अभी 31 जनवरी तक रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं, वहीं इसके बाद 30 जून तक रिक्त होने वाली सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. गुप्ता ने कहा कि आयोग चाहता है कि चुनाव समयबद्ध कराए जाएं ताकि सीटें ज्यादा समय तक खाली नहीं रहें. क्याेंकि सीटें ज्यादा समय खाली रहती हैं तो स्थानीय लोगाें के साथ ही सरकार के लिए भी अच्छा नहीं है. अयोग्य घोषित करने या मरने या अन्य कारणों से सीटें रिक्त होने की सूचना देना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है.


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