Jaipur: ऊंट, हाथी, घोड़े, पालकी, तोप गाड़ी और सजे-धजे रथों के साथ अलगोजा, गैर, चकरी, लंगा, शहनाई वादन की गूंज के बीच धूमधाम से शाही लवाजमे के साथ गणगौर की पारंपरिक सवारी निकली. ज्यों ही माता की सवारी निकली, जयकारों और पुष्प वर्षा से श्रद्धालुओं ने गणगौर माता का अभिवादन किया..सिटी पैलेस स्थित त्रिपोलिया गेट पर पूर्व राजपरिवार सदस्य पद्मनाभ ने गणगौर माता की आरती उतारी.


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वहीं देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत और आरटीडीसी चेयरमैन धमेन्द्र राठौड ने भी पूजा अर्चना की. जयपुर की परंपरा को निभाते हुए राजसी ठाठ से निकलने वाली इस सवारी को देखने के लिए विदेशी सैलानियों में खासा उत्साह दिखा.दुनियाभर के अलग-अलग देशों से लोग सिर्फ जयपुर की गणगौर की सवारी देखने आए हैं..त्रिपोलिया गेट से शुरू हुई गणगौर की सवारी के पूरे रास्ते में महिला, पुरुष और बच्चों में दर्शनों की होड़ मची रही.


आगे-आगे राजस्थानी संस्कृति की कला बिखेरते कलाकार, झांझ-मजीरों की धुन और पीछे गणगौर माता की सवारी की अगवानी करता पचरंगा लिए हाथी सवार चला.शहर की चारदीवारी में जहां-जहां से गणगौर की सवारी गुजरी वहां भक्त आस्था और भक्ति की धारा में डूब गए. सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार से होते हुए पौंडरीक उद्यान पहुंची.


जहां गणगौर माता को घेवर का भोग लगाया.विदेशी सैलानियों के लिए त्रिपोलिया गेट के सामने स्थित हिंद होटल की छत पर इंतजाम किए गए.यहां पर वीआईपी लॉउंज में पर्यटकों के लिए जयपुर के घेवर भी उपलब्ध करवाए गए.प्रदेश भर से 100 से अधिक लोक कलाकारों ने प्रस्तुति दी. इनमें कच्ची घोड़ी, मयूर नृत्य, अलगोजावादक, कालबेलिया नृतकों के समूह, बहुरुपिया कलाकार, मांगणियार और तेरहताली की प्रस्तुतियां टूरिस्ट्स को सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाली थीं. शोभायात्रा में पारंपरिक तोप धारक वाहन, सजे हुए रथ, सजे-धजे घोड़े और ऊंटों का लवाजमा शामिल हुआ.


गणगौर की सवारी के अंत में ढाल धारी चोबदार और पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं चलती नजर आईं.राजस्थानी परंपरागत नृत्य और कच्छी घोड़ी, कालबेलिया नृत्य बहुरुपिया कला, गेर और चकरी सहित अन्य मनोरंजक कार्यक्रम स्थानीय श्रद्धालुओं और देशी-विदेशी पावणों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा..शहर के चारदीवारी वासियों ने भी सवारी के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी. कहीं फूलों की बारिश से तो कहीं डीजे की धुन के साथ सवारी की अगवानी की. तो कहीं माता की आरती उतारी गई. कल बूढ़ी गणगौर की सवारी निकलेगी.


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