Goddess Sharda reach Karnataka from Jaipur after travels 295 hours: कश्मीरी पंडितों(Kashmiri pandits)  की प्रमुख देवी शारदा (Goddess Sharda ) की पंचधातु मूर्ति को 24 जनवरी को कर्नाटक के श्रृंगेरी से कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास टीटवाल के लिए निकाली जा रही है. कर्नाटक के श्रृंगेरी से  चली यात्रा सोमवार को राजधानी जयपुर में यात्रा के प्रवेश  कर गई. 


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यात्रा के जयपुर में प्रवेश करन करने पर  कश्मीर में शारदा बचाओ समिति के संस्थापक और प्रमुख रविंदर पंडिता ने कहा इस मूर्ति को 22 मार्च को नवनिर्मित मंदिर में स्थापित किया जाएगा. यात्रा 24 जनवरी को श्रृंगेरी से शुरू हुई  थी. इसे बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, जम्मू और कुपवाड़ा के रास्ते लेकर जाया जा रहा है. 


मूर्ति यात्रा 20 मार्च को कुपवाड़ा के टिक्कर से तीतवाल पहुंच जाएगी. देवी-पूजा के नौ शुभ दिनों चैत्र नवरात्रि (Chitra Navratrai) के पहले दिन 22 मार्च को नवनिर्मित मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. पंडिता ने बताया कि समिति ने 22 मार्च को पीओके(Pok)  में चिल्हाना के माध्यम से सद्भावना के रूप में मंदिर के उद्घाटन के लिए नियंत्रण रेखा के पार अपने नागरिक समाज के सदस्यों को भी आमंत्रित पत्र भेजा है .
कौन है माता शारदा


देवी शारदा (Goddess Sharda ) को कश्मीरा-पुरवासनी भी कहा जाता है. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक शारदा पीठ मंदिर(Goddess Sharda ) को महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में बनवाया था. अधिकतर इतिहासकारों के अनुसार शारदा पीठ का निर्माण ललितादित्य मुक्तपीड ने शुरू कराया था. कुछ ने इस मंदिर का निर्माण पहली शताब्दी के प्रारंभ में कुषाणों के शासन के दौरान और कुछ इतिहासकारों ने बौद्धों की शारदा क्षेत्र में काफी भागीदारी की बात की, लेकिन शोधकर्ताओं को इस दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिले हैं. 


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