Jaipur news :  देशभर में नवरात्र का पावन अवसर की मंगल शुरुआत हो चुकी है, केवल मंदिरों में ही  नहीं  बल्कि करोड़ों घरों में भी धर्मानुसार पूजा-अर्चनाओं का आयोजन हो रहा है. राजधानी जयपुर में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में भट्टारक जी नसियां, नारायण सर्किल पर आज से 10 दिवसीय 256 मंडलीय सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन एवं विश्व शांति महायज्ञ का आगाज हुआ.
 जिसकी शुरुवात प्रात देव और गुरु आज्ञा लेकर घटयात्रा निकाली गई. इसके पश्चात मंत्रोच्चारण के साथ धर्म ध्वजारोहण कर पंडाल उद्धघाटन, पंडाल और मंडप शुद्धि संस्कार हुए.आयोजन अध्यक्ष आलोक जैन ने बताया आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में सुबह श्रीजी का कालशाभिषेक, शांतिधारा की गई और विधानाचार्य को निमंत्रण देकर पूज्य गुरुवर को सानिध्य प्रदान करने को लेकर श्रीफल भेंट किया. आचार्य श्री ने सभा को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन दिए और सिद्धचक्र महामंडल विधान पूजन के महत्व को बताया साथ ही जैन धर्म नवरात्रों का क्या महत्व है उसकी भी जानकारी दी. इसके बाद पंडित संदीप जैन के निर्देशन में सकलिकरण, जपयानुष्ठान, इंद्रों और मंडप की प्रतिष्ठा, मंगल कलश और अखंड दीप ज्योति की स्थापना की गई है.


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शारदीय नवरात्रि का महत्व 
नवरात्रि मनाने के पिछे अलग - अलग कारण है. देश के अलग -अलग हिस्से में कई तरीके से माता के इस पावन पर्व को मनाया जाता है .  एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नाम का एक दैत्य था. ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान पाकर वह देवताओं को सताने लगा था.महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। इसके बाद तीनों देवताओं ने आदि शक्ति का आवाहन किया. भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी के रूप में बदल गया. अन्य सभी  देवताओं ने उन्हें अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए.


जिसके बाद देवताओं से शक्तियां पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को युध्द के लिए ललकारा. महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध शुरू हुआ, जो 9 दिनों तक चला. फिर दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया.  इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया. इस प्रकार  नवरात्रि  पर्व मनाने की शुरुआत हुई.