Jaipur latest News:  राजस्थान के जयपुर में ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी मोनिका सोनी को गत 15 फरवरी को दौसा नगर परिषद का सचिव बनाया गया था. वहीं 17 फरवरी को डीएलबी निदेशक ने आदेश जारी कर उन्हें परिषद के आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया. याचिका में कहा गया कि मोनिका सोनी आयुक्त पद के लिए तय योग्यता नहीं रखती हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नियमानुसार आयुक्त पद को मेरिट के आधार पर पदोन्नति के जरिए भरा जा सकता है. इसके लिए तीन साल का अनुभव रखने वाला ईओ द्वितीय स्तर का अधिकारी ही इसके लिए पात्र होता है, जबकि मोनिका सोनी ईओ तृतीय स्तर की अधिकारी हैं और उनके पास सचिव पद का पांच साल का अनुभव भी नहीं है. इसलिए उन्हें दिए गए अतिरिक्त कार्यभार के आदेश को रद्द किया जाए. 


जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार और मोनिका सोनी की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता प्रभावित व्यक्ति नहीं है. ऐसे में उन्हें याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा अधिकारियों की कमी के चलते समान कैटेगरी के अधिकारी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है. सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार देने के संबंध में जारी आदेश को रद्द कर दिया है.


राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी अयोग्य व्यक्ति को प्रशासनिक आवश्यकता का हवाला देते हुए आयुक्त पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती. किसी ऐसे व्यक्ति को उस पद पर नहीं रखा जा सकता जिसके पास उस पद की निर्धारित योग्यता ही नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने डीएलबी निदेशक के गत 17 फरवरी के उस आदेश को रद्द कर दिया है. जिसके तहत दौसा नगर परिषद की सचिव मोनिका सोनी को आयुक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया था. 


यह भी पढ़ें- गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और नीलगाय को काटने के सवाल पर शंकराचार्य का बयान...


अदालत ने कहा कि मोनिका सोनी ईओ तृतीय वर्ग की अधिकारी हैं, जबकि नियमानुसार आयुक्त पद पर ईओ द्वितीय वर्ग के अधिकारी को वरिष्ठता कम पदोन्नति के जरिए लगाया जा सकता है. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश दौसा नगर परिषद के वार्ड 55 से पार्षद कमलेश कुमार मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.


अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नगर परिषद आयुक्त का पद दक्षता वाला होता है. ऐसे में इसे ऐसे व्यक्ति द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है. जो उस पद को धारण करने की योग्यता ही नहीं रखता है. अयोग्य व्यक्ति को आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार सौंपने से पूरे परिषद के कामकाज पर असर पड़ेगा.