Kotputli News:पिछली सरकार ने कोटपूतली को भले ही जिले की सौगात दे दी हो, लेकिन आज भी जिले के हिसाब से सालों से कोटपूतली में कई सुविधाएं नहीं हो पाई हैं. जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है कोटपूतली में बस डिपो का होना,जिसको लेकर यहां की जनता राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन को कई बार अवगत करवा चुकी हैं.


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लेकिन सालों से इसका समाधान आज भी नहीं निकल पाया हैं. देश के सबसे व्यस्तम हाइवे में से दिल्ली जयपुर हाइवे पर कोटपूतली में बस डिपो नहीं होने से यहां के लोग यात्रा अपनी जान हथेली पर लेकर करते हैं.


कभी आपको दिल्ली से जयपुर जाना हो तो आपको कोटपूतली पहुंचेने पर पता लग जायेगा की कोटपूतली जिला होने के बावजूद यहां के लोग हाइवे किनारे तेज धुप तेज सर्दी व बरसात में बसों का इंतजार करते हुए दिख जायंगे क्या करे इसके आलावा इनके पास कोई चारा भी नहीं हैं.


खासकर महिला यात्रियों व छोटे बच्चों के साथ बहुत भारी दिक्क़तों का सामना करना पड़ता हैं. महिलाओं के लिए कहीं पर भी शौचालय की व्यस्था नहीं जो बहुत बड़ी विडंबना हैं.


सड़क किनारे खडे यात्रियों का कहना अगर कोटपूतली में बस डिपो बन जाये तो पानी शौचालय छाया व बैठने की व्यस्था तो मिल जाये साथ ही लोग अपनी जान बचा सके क्योंकि सवारिया बसों को पकड़ने के लिये बहते हुये हाइवे से रोड क्रॉस करते हैं जिससे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.


जिसमे महिला बच्चे व बुजर्ग अपनी जान हथेली पर लेकर हाइवे से इधर उधर भढकते नजर आते हैं.बानसूर मोड़ के पास तो स्थित ऐसी हैं जयपुर की औऱ से आने वाले वाहन बहुत तेज गति मे होते हैं कई बार तो ब्रेक तक नहीं लगते क्योंकि पुलिये का पूरा ढलान हैं जिस कारण वाहनो की तेज गति बनी रहती हैं.


बस डिपो को लेकर परेशानी केवल यात्रियों को ही नहीं हैं बल्कि रोडवेज बस चालक व परिचालको को भी होती हैं सभी चालकों का कहना हैं. इतनी दूर का सफर तय करके आते हैं. बीच रस्ते मे हमें भी मिनट दो मिनट गाडी से उत्तर कर आराम करने का समय मिल जाये.


 जब तक यात्री बसों मे बैठे लेकिन ये व्यस्था बस डिपो के अंदर हो सकती हैं यहां हाइवे पर तो हमारी व सवारियो की जान खतरे मे रहती हैं पता नहीं कौनसा वाहन अचानक आकर पीछे से टक्कर मार दे.ऐसा नहीं हैं हादसे नहीं हुये पहले बहुत हादसे हो चुके हैं.


वहींं परिचालक ने कहा अगर बस डिपो होवें तो सवारिया बस मे उतरने चढ़ने मे जल्दबाजी नहीं करे आराम से आ जा सकती हैं.ज्यादा बड़ा नहीं तो छोटा भी हो तो यात्री आराम से अपनी यात्रा कर सके.


बस डिपो के संबंध में जी मीडिया की टीम कोटपूतली आगार प्रबंधक से मिले तो उनका कहना हैं कोटपूतली मे आगार कार्यशाला तो हैं जिसमे करीब 60 बसे संचालित हैं जो विभन्न रुटो पर चल रही हैं,लेकिन बस डिपो नहीं होने से चालक परिचालक को बहुत बड़ी समस्या का समाना करना पड़ता हैं.


जहां भी सड़क किनारे रोडवेज गाड़ियों को खड़ा कर सवारिया भरते हैं वहा निजी बस व छोटे साधनों वाले झगड़ा करने पर उत्तर आते हैं जिससे सवारियो को भी बहुत बड़ी परेशानी का समाना करना पड़ता हैं.हमने बस डिपो की जमीन आवंटित करने को लेकर प्रशासन को कई बार लिखत मे दे दिया.


लेकिन अभी तक भी हमारी सुनवाई नहीं हुई हम चाहते हैं.हमें कही भी जमीन आवंटित हो जाये तो कार्यशाला को वहा सिफ्ट कर यहां पर बस डिपो बना दिया जाये ताकी स्थानीय लोगो को सुविधाएं मिल जाये.वहीं जिला कलेक्टर कोटपूतली-बहरोड़ कल्पना अग्रवाल ने बताया बस डिपो की जमीन आवंटित को लेकर तहसीलदार को रिपोर्ट सोप दी गई हैं.


 जल्द ही इसका समाधान निकाल कर बस डिपो की व्यस्था करने का प्रयास किया जायेगा. अभी आचार सहिता लगी हुई है. जैसे ही राज्य सरकार के आदेश आते है तो वैसे है काम को जल्द करवाने के लिए संबंधित अधिकारियो को निर्देशित किया जायेगा.


जिस प्रकार सालो से कोटपूतली मे बस डिपो के नाम से खाना पूर्ति चल रही उससे तो लगता नहीं कोटपूतली को जल्द ही कोई बस डिपो की सौगात मिल पायेगी हालांकि प्रशासन ने आश्वास्त किया हैं तो एक उम्मीद की किरण जगी हैं.अब देखना होगा ये उम्मीद कब तक पूरी हो पाती हैं.


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