Jaipur: राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ का महापड़ाव आज 8 वें दिन भी लगातर जारी रहा. महापड़ाव में मौजूद राज्य कर्मचारियों ने बताया महासंघ से जुड़े राज्य कर्मचारी पिछले 30 साल से समान वेतन की मांग कर रहे हैं लेकिन राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है. उन्होंने कहा अशोक गहलोत सरकार ने 2008 में बढ़ा हुआ वेतनमान कर्मचारियों को देना शुरू किया गया था. लेकिन उसके बाद की बीजेपी सरकार ने इस वेतनमान को रोक दिया. कर्मचारियों ने कहा वह अपना रुका हुआ वेतनमान वापस सरकार से मांग रहे हैं, इसे देने में सरकार को कोई आनाकानी नहीं होनी चाहिए. वहीं महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने बताया सरकार ने अगर महासंघ की मांगे जल्दी पूरी नही करी तो सरकार को अंजाम भुगतान पडेगा. 


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इसी के साथ आंदोलन को और तेज किया जाएगा. उन्होंने कहा पिछले 8 दिन से 24 घंटे लगातार महापड़ाव चल रहा है, केवल फाइनेंस सेक्रेट्री लेवल पर बात हुई है,लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधि अभी तक बातचीत के लिए नहीं आया है, इसी के साथ ही सरकार ने भी बातचीत बीच का रास्ता नहीं निकाला है. जिसके चलते कर्मचारियों में आक्रोश हर घंटे बढ़ता जा रहा है, उन्होंने कहा पिछले 30 वर्षो में कई बार ज्ञापन, अनशन, क्रमिक अनशन, भूख हड़ताल, रैली सभा, धरना प्रदर्शन सब करके देख लिया, लेकिन सरकार संघ की किसी भी मांग पर विचार नहीं कर रही है. जिसके चलते सभी जिलों के अध्यक्ष की सहमति से राजधानी में महापड़ाव के लिए मजबूर होना पड़ा. आज के पहले भी 2013, 18 में भी कर्मचारियों ने अपनी मांगों के लिए महापड़ाव डाला था, इस बार फिर से अपनी मांगों के लिए कर्मचारी सड़कों पर है. 


सरकारी कर्मचारी सर्दी गर्मी बरसात तीनों मौसम में कार्य कर सकता है, कर्मचारी सरकार से बिल्कुल भी नहीं डरने वाला सरकार ने अगर डराने की कोशिश करी तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. उन्होंने कहा जब सचिवालय के बाबू के बराबर प्रदेश के सभी कर्मचारी काम करते हैं तो वेतन के अंदर इतना अंतर क्यों है सभी कर्मचारी सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने का काम करते हैं, इसके बावजूद सरकार वेतन में विसंगतियां क्यों करती है. इसके साथ ही कई विभागों में पिछले कई सालों से पदोन्नत पदोन्नति भी नहीं है.उन्होंने कहा प्रदेश के 33 जिलो एवं सभी उपखंड मुख्यालयों सहित जयपुर के 50 विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारी महापडाव में शामिल है.


जिसमें सभी जिला कलेक्टर कार्यालय, उपखंड कार्यालय, पंचायती राज विभाग के सभी पंचायत समितियों ओर जिला परिषदो के मंत्रालयिक कर्मचारियों के साथ परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, पंजियन मुद्रांक विभाग, आबकारी सहित सभी राजस्व विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारी शामिल हो रहे है. चौधरी ने बताया मंत्रालयिक कर्मचारी पिछले 30 वर्षो से भी अधिक समय से अपने समकक्ष संवर्गो के समान वेतनमान की मांग करता आ रहा है. परंतु सरकारों द्वारा उनकी वेतन विसंगति की मांग पर कोई ध्यान नही दिया गया. जिसके परिणामस्वरूप मजबूर होकर सामुहिक अवकाश पर रहते हुए महापडाव जैसा कदम उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा यह महापड़ाव मांगे नहीं माने जाने तक लगातार जारी रहेगा.


Reporter- Anup Sharma


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