Mohini Ekadashi Date 2023: कब है मोहिनी एकादशी, सागर मंथन और अमृत के संबंध में ये है पौराणिक कथा, इसके व्रत से नष्ट हो जाते हैं जन्मों के पाप
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Mohini Ekadashi Date 2023: कब है मोहिनी एकादशी, सागर मंथन और अमृत के संबंध में ये है पौराणिक कथा, इसके व्रत से नष्ट हो जाते हैं जन्मों के पाप

Mohini Ekadashi Date 2023: इस बाद मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत (Fast) 1 मई (1 May 2023) को रखा जाएगा. हिंदी ग्रंथों और पुराणों में बताया गया है कि इस व्रत के पुण्य से लोग जन्म-मृत्यु के चक्र से छूट जाते हैं. और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

 

Mohini Ekadashi Date 2023: कब है मोहिनी एकादशी, सागर मंथन और अमृत के संबंध में ये है पौराणिक कथा, इसके व्रत से नष्ट हो जाते हैं जन्मों के पाप

Mohini Ekadashi Date 2023: पुराणों के अनुसार सभी जितनी भी एकादशियां हैं, उनमें मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) को सबसे पावन और फल देने वाली तिथि माना गया है. पौराणिक मान्यताओं की मानें तो जो भी लोग इस पवित्र दिन को पूरे विधि-विधान से व्रत (Fast) रखता है, उसे जिंदगी में सब कुछ मंगल होने लगता है. मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत (Fast) रखने पर हर व्यक्ति  मोह माया के झंझट से मुक्त हो जाता है. उसे मोक्ष मिल जाता है. बता दें कि इस बार मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत 1 मई को रखा जाएगा.

जानिए मोहिनी एकादशी का क्यों है इतना महत्व (Importance of Mohini Ekadashi)

मान्यता है कि जब समुद्र मंथन (Samdra Manthan) हुआ को अमृत (Amrit) मिलने के बाद देवताओं और असुरों में उसे लेकर छीनाझपटी मच गई थी. ताक़त के मामने में असुर देवताओं से ज्यादा बलशाली थे. वो असुरों को मात नहीं दे सकते थे. सभी देवताओं के अनुरोध पर पर भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) ने मोहिनी (Mohini) का रूप धारण किया और असुरों को मोह लिया. इसके बाद उन्होंने सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. जिसके बाद सभी देवताओं ने अमरत्व मिल गया. इसी वजह से इस एकादशी (Ekadashi) को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) बोला जाता है.

ये है मोहिनी एकादशी की व्रत कथा (Fasting Story Of Mohini Ekadashi)

पौराणिक कथा के मुताबिक भद्रावती (Bhadravati) नामक सुंदर शहर में एक धनी आदमी रहता था. लोग उसे धनपाल के नाम से जानते थे. उसकी स्वभाव से बहुत नेक था. इसके अलावा वह बहुत दान-पुण्य भी करता था. बताया जाता है कि उसके 5व बेटों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था. वह बुरे कामों में जुटा रहता था. वह अपने पिता के पैसे लुटाता रहता था. एक दिन धनपाल (Dhanpal) ने इन सब बातों से तंग आकर उसे घर से बाहर निकाल दिया. इसकी बजह से धृष्टबुद्धि  उदास रहने लगा और  यहां-वहां भटकने लगा. 

घूनते हुए एक दिन धृष्टबुद्धि महर्षि कौण्डिल्य (maharishi kaundilya) के आश्रम में जा पहुंचा. बताया जाता है कि महर्षि कौण्डिल्य उस वक्त गंगा में स्नान करके आए थे. उदास धृष्टबुद्धि कौण्डिल्य ऋषि (Kaundilya Rishi) के निकट जाकर बोला- 'हे ऋषि ! मुझ पर कृपा करिए और कोई ऐसी युक्ति बताइए जिसके असर से मैं अपनी पीड़ा से मुक्त हो जाऊं.' जिसके बाद महर्षि कौण्डिल्य (maharishi kaundilya) ने उसे मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का व्रत रखने का उपाय बताया.

महर्षि ने उससे कहा कि इस व्रत (Fast) के प्रभाव से कई जन्मों के दोष भी खत्म हो जाते हैं. जिसके बाद धृष्टबुद्धि  ने महर्षि द्वारा बताई विधि के से व्रत किया. जिसके बाद वह निष्पाप हो गया, और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम (Shree Vishnudham) को चला गया.

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