ऑनलाइन सट्टे की लत के चलते युवक ने अपने घर में की 28 लाख की चोरी, बोला- पहले भी चुराए पैसे
राजस्थान में राजधानी जयपुर की मुहाना थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक किराना दुकान संचालक के घर में हुई 28 लाख रुपये की चोरी की वारदात का महज कुछ घंटे में खुलासा हो गया. खुलासा करते हुए परिवादी के बेटे को गिरफ्तार किया गया है.
Jaipur News: राजधानी की मुहाना थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक किराना दुकान संचालक के घर में हुई 28 लाख रुपये की चोरी की वारदात का महज कुछ घंटे में खुलासा हो गया. खुलासा करते हुए परिवादी के बेटे को गिरफ्तार किया गया है.
डीसीपी साउथ दिगंत आनंद ने बताया कि रघुनाथपुरा निवासी राम प्रसाद मेहता ने मुहाना थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उसने जमीन बेचने के बाद उससे प्राप्त हुई 28 लाख रुपये की राशि घर में रखी हुई थी, जो दोपहर में चोरी हो गई. पुलिस ने वारदात स्थल के आसपास लगे कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और मुखबिर तंत्र से भी जानकारी जुटाई.
इस दौरान पुलिस को यह जानकारी मिली के परिवादी का बेटा हेमराज ऑनलाइन सट्टा और जुआ खेलता है. शक होने पर जब पुलिस ने हेमराज से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल लिया. हेमराज ने बताया कि उसने घर में रखी हुई राशि को ऑनलाइन सट्टे और जुए में निवेश कर गंवा दिया. वहीं, जब उसके पिता द्वारा दूसरी जमीन खरीदने का सौदा तय होने की बात उसे पता चली तो उसने राशि चोरी होने की झूठी कहानी रची.
पूछताछ के दौरान हेमराज ने यह बात भी कबूल की कि वह अपने पिता के बैंक खाते से भी चेक के माध्यम से कई बार राशि निकल चुका है. फिलहाल आरोपी से गहनता से पूछताछ जारी है.
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राजस्थान की जेलों में अब BJP विधायक बनाए गए सलाहकार, सवाल- क्या थमाया गया झुनझुना?
राजस्थान की जेलों में अब भाजपा विधायक सलाहकार बनाए गए हैं. सरकार ने जेलों में बंदी सुधार कमेटी के लिए गठित सलाहकार बोर्ड में सदस्य बनाए गए हैं. विधायकों को बोर्ड में गैर सरकारी सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है. हालांकि सरकार ने सिर्फ बीजेपी विधायकों को ही सलाहकार बोर्ड में सदस्य बनाया है.
राज्य की जेलों में बंदी सुधार के लिए सलाहकार बोर्ड गठित किए गए हैं. इन बोर्ड में सरकारी अधिकारियों के अलावा गैर सरकारी सदस्य भी मनोनीत किए जाते हैं. सरकार की ओर से गुरुवार को गैर सरकारी सदस्यों के रूप में भाजपा विधायकों को मनोनीत करने के आदेश जारी किए गए. बंदी सुधार के लिए सलाहकार बोर्ड की ओर से लिए जाने वाले फैसलों में अब इन विधायकों की भूमिका भी रहेगी. जेल सहलाकर बोर्ड में डिविजनल कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट जज स्तर तथा जेल अधीक्षक सरकारी सदस्य होते हैं जबकि दो गैर सरकारी सदस्य भी शामिल किए जाने हैं. गैर सरकारी सदस्यों के लिए नियमों में किसी प्रकार का कोई मापदंड निश्चित नहीं है. ऐसे में सत्तारूढ़ सरकारें अपने अपने हिसाब से गैर सरकारी सदस्यों का मनोनयन करती है. भाजपा की भजनलाल सरकार ने प्रदेश की 42 जेलों के लिए 84 विधायकों तथा पूर्व विधायकों को गैर सरकारी सदस्य मनोनीत किया है.
यह काम है एडवाइजरी बोर्ड मेम्बर का
जेल सलाहकार बोर्ड का काम बंदी की सजा को छाेटी करने, समय से पहले बंदी की रिहाई आदि की सिफारिश कर सरकार को रिपोर्ट देना है. इनमें नियमानुसार तीन सरकारी सदस्यों में किसी बंदी के मामले में राय नहीं बना पाए तो गैर सरकारी सदस्य अर्थात विधायक पूर्व विधायकों की राय मायने रखती है. इसमें किसी बंदी को लेकर कलेक्टर और एसपी रिपोर्ट देते हैं, इसके बाद जेल अधिकारियों की रिपोर्ट कि जेल से छूटने के बाद बंदी समाज के लिए खतरा नहीं होगा. इस रिपोर्ट के आधार पर सलाहकार बोर्ड अपनी सिफारिशी रिपोर्ट सरकार को देगा. इस रिपोर्ट के बाद ही बंदी की सजा को लेकर सरकार का निर्णय आता है.
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