Jaipur News : जालौर-सिरोही को माही एवं कडाणा बांध का पानी उपलब्ध कराने को लेकर सांसद लुंबाराम चौधरी ने कवायद शुरू कर दी है. लंबे समय बाद भी इस प्रोजेक्ट की इंस्पेक्शन एवं फीजिबिलिटी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को नहीं देने पर सांसद रिपोर्ट तैयार करने वाली कंपनी के ऑफिस ही पहुंच गए. सांसद लुंबाराम ने गुड़गांव स्थित वाप्कोस कंपनी के कार्यालय पहुंच कर कंपनी के सीएमडी आरके अग्रवाल से मुलाकात की. 


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देरी होने पर जताई नारजगी



सांसद चौधरी ने बांध की इंस्पेक्शन रिपोर्ट और फीजिबिलिटी रिपोर्ट में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जताई. सांसद ने माही एवं कडाणा बांध की इंस्पेक्शन एवं फीजिबिलिटी के संबंध में रिपोर्ट मांगी. लुंबाराम से बातचीत के बाद कंपनी के एमडी 7 दिन में यह रिपोर्ट सरकार को भेजने की बात कही है.



क्या है मामला?



खोसला कमेटी की रिपोर्ट 1 सितंबर 1965 के अनुसार गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर कडाणा बांध बनाना प्रस्तावित किया गया था. इसके बाद 1 अक्टूबर 1966 को राजस्थान एवं गुजरात राज्य के बीच माही जल बंटवारा समझौता के तहत कडाणा बांध का निर्माण हुआ, जिसमें पैरा सं0-1 के अनुसार जब गुजरात में खेड़ा जिला नर्मदा से सिंचित होगा, तब कडाणा बांध के पानी का 2/3 भाग राजस्थान का तथा 1/3 भाग गुजरात का होगा. यह पानी हाई लेवल नहर के माध्यम से जालौर-सिरोही को दिया जाना प्रस्तावित है.