Jaipur news: सरकारी खजाने को अधिकारियों की लापरवाही से किस कदर पलीता लगता है, इसकी एक बानगी शाहपुरा में देखने को मिल रही है. यहां 60 लाख की हाइड्रोलिक क्रेन थाना परिसर के बाहर खड़ी-खड़ी जंग खा रही है. करीब 7 साल से हाइड्रोलिक क्रेन बिना चालक के शाहपुरा पुलिस थाने के बाहर शो पीस बनकर खड़ी है. इसका खामियाजा हाइवे पर दुर्घटनाग्रस्त वाहनों के मालिकों को हो रहा है. इसका फायदा उठाकर निजी क्रेन मालिक चांदी कूट रहे हैं. जानकारी के अनुसार जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर दुर्घटनाग्रस्त व खराब होने वाले वाहनों को राजमार्ग से हटाने के लिए परिवहन विभाग की ओर से जनवरी 2016 में यह हाइड्रोलिक क्रेन शाहपुरा पुलिस विभाग को उपलब्ध कराई गई थी. 


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उस दौरान क्रेन के संचालन के लिए होमगार्ड के 4 जवानों को लगाया गया था. जिसमें 2 जवानों को चालक व 2 जवानों को हेल्पर के रूप में तैनात किया गया था. उन्हें जयपुर स्थित पुलिस लाइन में विशेषज्ञों की ओर से करीब 9 दिन की विशेष ट्रेनिंग भी दी गई थी. इसके बाद करीब 14 माह तक शाहपुरा के हाईवे पर दुर्घटनाग्रस्त वाहनों व खराब होने वाले वाहनों को हटाने में उस क्रेन का उपयोग होता रहा. इस क्रेन पर चालक व परिचालक के रूप में काम कर रहे होमगार्ड के जवानों का वेतन परिवहन विभाग की ओर से होता था. 


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मार्च 2017 में परिवहन विभाग के अधिकारियों ने क्रेन के लिए एक्स सर्विसमैन लगाने का हवाला देते हुए होमगार्ड जवानों को हटा दिया. इसके बाद इस क्रेन पर न तो कोई एक्स सर्विसमैन लगाया गया और ना ही अन्य कोई व्यवस्था की गई. अब करीब 7 साल से यह क्रेन अपने सारथी के इंतजार में पुलिस थाने के बाहर खड़ी खड़ी बाट जोह रही है.


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निजी क्रेन चालको को हो रहा सीधा फायदा
शाहपुरा पुलिस थाने में धूल फांक रही हाइड्रोलिक क्रेन का उपयोग नहीं होने से सीधा फायदा निजी क्रेन मालिकों को हो रहा है. हाईवे पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है. तथा कई वाहन खराब होकर राजमार्ग पर खड़े हो जाते हैं. ऐसे में उन वाहनों को राजमार्ग से हटाने के लिए निजी क्रेन को बुलाना पड़ता है. निजी क्रेन संचालक वाहन मालिकों से मनमाना पैसा वसूल करते हैं. कई बार वाहन मालिक व क्रेन संचालक के बीच पैसे को लेकर विवाद भी हो जाता है. इतना ही नहीं, शाहपुरा थाने में पहले भी एक क्रेन उपलब्ध कराई गई थी. भारी भरकम क्रेन की कीमत करीब एक करोड रुपए थी. अधिकारियों की अनदेखी के कारण वह क्रेन भी काफी समय तक थाना परिसर में खड़ी होकर कबाड़ में तब्दील होती रही. आखिरकार उसको वापस जयपुर भेज दिया गया.


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रणवीर, सेवा समिति अध्यक्ष
शाहपुरा प्रशासन को सरकार द्वारा 60 लाख रूपयों की लागत से हाइड्रोलिक क्रेन उपलब्ध करवाई गई थी. जिसका उद्देश्य सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त वाहनों को एक्सीडेंट पॉइंट से हटाकर यातयात भी सुचारू किया जा सके और दुर्घटना ग्रस्त वाहनो को थाने ला सके जिससे वाहन मालिकों को सहूलियत मिल सके. लेकिन वो क्रेन थाने के बाहर शोपीस बनकर खड़ी है. और खड़ी-खड़ी जंग खा रही है. इस क्रेन का वाहन मालिकों को कोई फायदा नही मिल रहा है. प्रशासन की अनदेखी के चलते सरकार को लाखों रूपयों की चपत लग रही है. प्रशासन अतिशीघ्र हाइड्रोलिक क्रेन को चालू करें ताकि वाहन मालिकों को कोई परेशानी नही हो सकें.


मनोहरलाल मीणा, कार्यवाहक थानाप्रभारी शाहपुरा
इस तरह की कहानी आप हम सब को अधिकतर सरकारी कार्यालयों में किसी ना किसी कार्य के चलते दिख ही जाती है. लेकिन आज तक का विषय रहा है. सरकार या सक्षम अधिकारियों ने कोई भी ठोस कार्रवाई नही की जिसके नतीजे इस प्रकार नजर आते है. अब देखने वाली बात यह होगी कि जिम्मेदार कब इस ओर गम्भीरता से ध्यान देते है और जंग खा रही इस क्रेन की सुध लेते है.


REPORTER- AMIT YADAV