Jaipur : यदि आप जयपुर शहर में लो-फ्लोर बस से सफर करते हैं. तो ये खबर आपके लिए हैं. कल से जयपुर शहर में 300 की जगह 200 बसों का ही संचालन होगा.ऐसा इसलिए क्योंकि जेसीटीएसएल के बेडे में 100 बसे कबाड (कंडम) हो जाएंगी. बसों के कंडम होने से 6 रूटो पर बसों की कनेक्टिविटी खत्म हो जाएगी तो वहीं अन्य 24 रूटो पर यात्रियों को बसों के लिए नौ मिनट से तीन घंटे तक इंतजार करना होगा.


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शहरी ट्रांसपोर्ट की रीढ की हड्डी कही जाने वाली 100 लो-फ्लोर बसों के कबाड होने से जयपुर में 6 रूटो पर बसों की कनेक्टिविटी खत्म हो जाएगी. बसे कम होने से शहर की ट्रांसपोर्ट सिस्टम गड़बडा जाएगा.
बस स्टॉपेज पर यात्रियों को 15 की बजाय करीब 25 मिनट तक बसों का इंतजार करना होगा. राजधानी में लोगों को पहले 10 मिनट में बस मिलती थी. अब कई रूटों पर 3 घंटे में एक बस मिलेगी.30 की जगह 24 रूटों पर बस चलेंगी. एक अप्रैल से 6 रूट बंद हो जाएंगे. बाकी 24 रूटों पर 9 मिनट से 3 घंटे के अंतराल में बसें यात्रियों को मिलेगी. 


इनके बंद होने की वजह से शहर के 60 हजार लोग प्रभावित होंगे. बसें बंद होने के बाद इन रूटों पर प्राइवेट बस ऑपरेटर्स का एकछत्र राज हो जाएगा.ये मनमर्जी से लोगों और स्टूडेंट्स से किराया वसूलेंगी. प्रतिदिन लो फ्लोर बसों में सफर करने वाले स्टूडेंट्स और लोगों को भारी परेशानी होगी. लो फ्लोर में स्कूल-कॉलेज आईडी दिखाने के बाद 50 प्रतिशत की छूट मिलती है. वहीं सीनियर सिटिजन को 30 फीसदी की छूट नहीं मिलेगी. और विशेष योग्यजन और 80 साल से ऊपर के व्यक्ति फ्री यात्रा करते हैं. बसें बंद होने से इनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा.



बसे कंडम होने से ये रूट हुए बंद


  • AC-3-टोडी मोड से द्वारकापुरी एनआरआरई

  • AC-5-अग्रवाल फार्म से आमेर

  • 10B-गलता गेट से निवारू

  • 4A-कानोता से रेलवे स्टेशन

  • 18-चांदपोल से कलवाडा महिन्द्रा सिटी

  • 23अजमेरी गेट से पत्रकार कॉलोनी


अब इन रूटो पर इतनी देर में मिलेगी बसें


रूट संख्या-------बसों की संख्या---------दो बसों के बीच अंतराल


3A---------------------14---------9मिनट
9A---------------------16---------12मिनट


07---------------------14---------12 मिनट


03---------------------12---------13मिनट


AC2--------------------16---------15मिनट


16---------------------13---------15मिनट


28---------------------10---------18मिनट


14---------------------13---------20मिनट


AC7--------------------8---------22मिनट


01---------------------7---------23मिनट


26---------------------8---------23मिनट


AC1-------------------09---------24मिनट


AC8-------------------5---------28मिनट


1A---------------------5---------28मिनट


15---------------------6---------30मिनट


24---------------------5---------30मिनट


34---------------------7---------30मिनट


30---------------------4---------35मिनट


32---------------------6---------44मिनट


11---------------------4---------45मिनट


6A---------------------4---------48मिनट


27---------------------4---------1 घंटे


25A---------------------1---------3 घंटे


25B---------------------1---------3 घंटे



जेसीटीएसएल सीएमडी अजिताभ शर्मा का कहना हैं कल से 100 बसें बेडे से हट जाएंगी..अब बाकी बसों के हिसाब से नया शेड्यूल जारी किया है.बसों की संख्या कम होने के बाद भी पूरे शहर को कवर करने की कोशिश की है.हालांकि कुछ क्षेत्र में अब बसें देरी से पहुंचेगी.नई बसें खरीद की तैयारी की जा रही है.10 साल या 8 लाख किलोमीटर चलने के बाद जेसीटीएसएल में शामिल 100 बसें कंडम होने से रूट से हटा दिया गया हैं.जेसीटीएसएल के बेड़े में शामिल होने वाली 100 इलेक्ट्रिक बसें लेने की फाइल तीन महीने से फाइनेंस डिपार्टमेंट की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं.


पिछले दिनों जेसीटीएसएल की बोर्ड बैठक में एक साल में 1 हजार बसें खरीदने का प्रस्ताव पारित किया था.इसमें से मार्च तक 100 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जानी थीं. एफडी की मंजूरी के लिए जेसीटीएसएल प्रबंधन ने फाइलें भेजी थीं.बसों का संचालन ऑपरेटिंग मॉडल और सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंडिंग का पैटर्न और स्रोत के आधार पर लेनी है.गौरतलब हैं की कबाड़ हो चुकी 100 बसें मार्च 2013 में खरीदी गई थीं.प्रदेश में दिसंबर 2019 में कांग्रेस सरकार आई थी, उस समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 408 बसें चल रही थीं.सरकार के चार साल के कार्यकाल में नई बसों की एंट्री नहीं हुई.अब बढते जयपुर शहर में 200 बसें रूट पर चलेगी.बसें बढ़ने की अपेक्षा लगातार घट रही हैं.


बहरहाल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (जेसीटीएसएल) की व्यवस्था पंक्चर होती जा रही है. सबसे बड़ी वजह है विभाग की उदासीनता.राजधानी में एक तरफ तो आबादी 40 से बढ़कर 55 लाख तक पहुंच गई, दूसरी तरफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चलने वाली लो फ्लोर बसें चार साल में 400 से घटकर 200 रह गईं हैं.यदि इलेक्ट्रिक बसों की फाइल दौड जाए तो शहरों पर भी फिर से बसें दौडने लगेंगी.
 


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