Rajasthan News: राजस्थान की 7 करोड़ आबादी को समय पर पीने का पानी मिल सके, तमाम उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित समाधान हो सके, इस उद्देश्य से जलदाय विभाग में मुख्य सचिव सुधांश पंत के निर्देशों के बाद अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया था, लेकिन अब कुछ महीनों बाद ही इस सिस्टम का इंजीनियर्स ने मजाक बना दिया. ना केवल आदेशों की धज्जियां उडाई जा रही है, बल्कि एएमएस का मजाक भी उड़ाया जा रहा है. इस ऐप के जरिए इंजीनियर्स के दफ्तर में आने जाने की पूरी मॉनिटरिंग ऑनलाइन रहती है, लेकिन एक बार फिर से जलदाय विभाग में चीफ इंजीनियर्स से लेकर दूसरा स्टाफ AMS के प्रति बेपरवाह हो गया है. इंजीनियर्स के संगठन गियर के ग्रुपों में सरकार के इस फैसले का मजाक उड़ाया जा रहा है.


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कैसे होता है कंट्रोल?
इस ऐप की खास बात ये है कि इसमें अटेंडेंस केवल दफ्तर के परिसर में ही लग पाएगी. यदि एम्प्लॉई दूसरी लोकेशन से अटैडेंस लगाएगा तो उनकी चोरी पकड़ी जाएगी. क्योंकि इसमें लोकेशन ट्रेस होकर रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगी. इसी के साथ विभाग के सीनियर अफसरों को ये पता लग जाएगा कि वो एम्प्लॉई ऑफिस में मौजूद ही नहीं है. AMS ऐप बनाते समय जिओ मैपिंग का भी ध्यान रखा गया है. ऑफिस की परिधि के 250 मीटर तक ही इस ऐप के जरिए अटेंडेंस हो पाएगी.इस एप में MARK IN, MARK OUT, OUT OF OFFICE और ON LEAVE के ऑप्शन भी दिए गए है. अब ये सारे ऑप्शन गौण है.



क्या भद्दे कमेंट्स करने वालों पर होगी कार्रवाई?
अब सवाल ये है कि क्या प्रमुख सचिव भास्कर ए सावंत इस सिस्टम को संचालित कर पाएंगे, क्या ऐसे इंजीनियरों पर कार्रवाई होगी,जो मुख्य सचिव के आदेशों की धज्जियां उडा रहे है, क्या ऐसे इंजीनियर्स पर कार्रवाई होगी जो सरकारी आदेश का मजाक उडा रहे है या इसी तरह सरकारी सिस्टम का मजाक सरकारी डिपार्टमेंट में ही खुद सरकारी कार्मिक-अधिकारी उड़ाते रहेंगे.



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